
भाजपा में अभी कई विधायक और अन्य नेता संगठन पदाधिकारी होने के साथ संभागों का प्रभार भी देख रहे हैं। संभाग प्रभारी होने के नाते इन नेताओं को अभी महीने में कम से कम एक बार उस संभाग में जाकर बैठकें करनी पड़ती हैं जहां के वे प्रभारी है। इन नेताओं को इन संभागों में संगठन के प्रगति की रिपोर्ट भी प्रदेश संगठन को देना होती है। राष्ट्रीय नेतृत्व ने हाल ही में प्रदेश संगठन से कहा है कि उन नेताओं को चुनाव के समय बड़ी जिम्मेवारी न दें जो खुद विधानसभा के समय चुनाव मैदान में उतरने वाले हों। इससे वे संगठन के काम पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे पाएंगे।
गौरतलब है कि अभी विधायक ऊषा ठाकुर, रामेश्वर शर्मा और प्रदीप लारिया प्रदेश उपाध्यक्ष होने के साथ-साथ संभागों के प्रभारी भी हैं। इसी तरह भिंड के अटेर से दावेदार माने जा रहे अरविंद भदौरिया भोपाल संभाग के प्रभारी है, वहीं नर्मदापुरम संभाग का प्रभार देख रहे जीतू जिराती इंदौर के राऊ विधानसभा क्षेत्र से दावेदार है। इसके अलावा जो सांसद भी संभागों के प्रभारी है अगर वे विधानसभा की दावेदारी करते हैं तो उनसे भी संभाग का प्रभार वापस लिया जाएगा।
जिलाध्यक्षों ने टिकट मांगा तो छोड़ना होगा पद
प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान जिला अध्यक्षों और निगम मंडल अध्यक्षों के विधानसभा चुनाव न लड़ने का ऐलान पहले ही कर चुके हैं। अब संगठन ने तय किया है कि जिन जिलाध्यक्षों को चुनाव लड़ना हो वे समय रहते अपनी इच्छा से प्रदेश संगठन को अवगत करा दें ताकि उनके स्थान पर किसी अन्य नेता को तैनात किया जा सके। निगम-मंडल अध्यक्ष के मामले में भी यही मापदंड अपनाए जाने की चर्चा है।
फिलहाल ये नेता है संभाग प्रभारी
भाजपा ने इस समय कई सांसदों और विधायकों को संगठन में महत्वपूर्ण पद और प्रभार दे रखे हैं। इन नेताओं को संभाग के प्रभार दिए गए हैं। जबलपुर- सांसद अजय प्रताप सिंह, ग्वालियर- प्रदेश महामंत्री बंशीलाल गुर्जर,चंबल- सांसद मनोहर ऊंटवाल, रीवा- प्रदेश महामंत्री बी डी शर्मा, सागर- उपाध्यक्ष विनोद गोटिया, भोपाल- उपाध्यक्ष अरविंद भदौरिया, इंदौर- विधायक रामेश्वर शर्मा, उज्जैन- विधायक ऊषा ठाकुर, शहडोल- विधायक प्रदीप लारिया और नर्मदापुरम- उपाध्यक्ष जीतू जिराती।
सौदान सिंह करेंगे फैसला
26 मार्च से तीन दिवसीय भोपाल के दौरे पर आ रहे पार्टी के राष्ट्रीय सहसंगठन मंत्री सौदान सिंह प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक में इस बारे में बात करेंगे। वे मोर्चा अध्यक्षों और महामंत्रियों के अलावा विधायकों से भी उनके संगठन से जुड़े कामों पर बात करेंगे। इसके बाद संघ नेताओं के साथ होने वाली बैठक में अंतिम निर्णय लिया जाएगा।