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पार्टी ने तय किया कि अपने जैसी सोच वालों के सहयोग को लेकर व्यावहारिक नजरिया अपनाएगी। बता दें कि आज कांग्रेस के 84वें अधिवेशन की शुरुआत हुई है, यहां कांग्रेस अगले पांच साल के लिए अपनी रणनीति तय करेगी। पार्टी रिजोल्यूशन में कहा गया, "अपने जैसी सोच वाले दलों के साथ सहयोग को लेकर पार्टी व्यावहारिक नजरिया अपनाएगी। इसके साथ ही साझा प्रोग्राम चलाए जाएंगे, ताकि भाजपा-संघ को 2019 में हराया जा सके।
बता दें कि देश भर की कई क्षेत्रीय पार्टियां कांग्रेस में से टूटकर बनीं हैं। सपा एवं बसपा जैसी पार्टियां भी कांग्रेस का वोटबैंक प्रभावित करतीं हैं। यही कारण है कि कांग्रेस पूरे देश में कमजोर हो जाती है जबकि भाजपा चुनाव जीतकर सत्ता में आ जाती है। कांग्रेस ने अब तय किया है कि वो अपने हिस्से के वोट बंटने नहीं देंगे। भाजपा के विरुद्ध वोट एक साथ एक ही प्रत्याशी को मिलना चाहिए चाहे फिर वो किसी भी पार्टी का क्यों ना हो।