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अमिताभ ने लिखा- कोई भी मौलिक रचना लेखक की विरासत है, लेकिन उसकी मौत के 60 साल बाद वह पब्लिक की हो जाएगी। आखिर किसने इसे बौद्धिक वैधता दी। मेरा मानना है कि यह 1957 में शुरू हुआ और मैं इस दुस्साहस भरे नियम से नाराज हूं। अमिताभ ने कहा कि मेरे बाबूजी (हरिवंश राय बच्चन) की रचनाएं मेरी विरासत हैं और उन पर 60 साल नहीं बल्कि हमेशा-हमेशा मेरा अधिकार रहेगा।
मैं इस कॉपीराइट लॉ का ना सिर्फ विरोध करता हूं बल्कि इससे असहमत भी हूं। क्योंकि मेरी धरोहर सिर्फ मेरी है। मेरे बाबूजी के लेखन का उत्तराधिकारी सिर्फ और सिर्फ मैं हूं। उनका लेखन सिर्फ मेरा है और मैं इसे पब्लिक के साथ साझा नहीं कर सकता।
बता दें कि बाबूजी (हरिवंश राय बच्चन) की कविताएं सुना सुनाकर अमिताभ बच्चन ने काफी कमाई की है। यह उनकी आय का एक बड़ा जरिया है। लोगों को अमिताभ बच्चन की आवाज में बाबूजी (हरिवंश राय बच्चन) की कविताएं पसंद आतीं हैं परंतु जैसा कि सभी जानते हैं, लोगों को कुछ नया मिले तो वो उसे ट्राई जरूर करते है। यहां यह भी बता दें कि अमिताभ बच्चन ने अपनी आवाज का बीमा करा रखा है।