भोपाल। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव राधेश्याम जुलानिया के एक आदेश को हाईकोर्ट ने पलट दिया है। कोर्ट ने प्रतिनियुक्ति मामले में निर्णय दिया है कि इन्टरव्यू से चयनित होकर जाने की प्रकिया को डेपुटेशन नहीं कहा जाएगा। इस निर्णय से 200 से अधिक कर्मचारियों को फायदा होगा। अपर मुख्य सचिव ने 16 दिसम्बर 2015 को एक आदेश जारी करते हुए रोजगार गारंटी योजना में कार्य कर रहे दो सौ से अधिक कर्मचारी और अधिकारियों का डेपुटेशन समाप्त कर दिया था। आदेश के 24 घंटे में कर्मचारियों को मूल विभाग भेज दिया गया था।
अदालत ने यह दिया निर्णय
सुनवाई में हाईकोर्ट ने माना कि कर्मचारियों और अधिकारियों की नियुक्ति विज्ञापन के माध्यम से हुई है। इन नियुक्तियों को सामान्य प्रतिनियुक्ति नहीं माना जाएगा इसलिए विभाग को डेपुटेशन समाप्त करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने 16 फरवरी को अपना निर्णय सुनाया। अदालत में प्रभुशंकर शुक्ला, लाल बहादुर सिंह, कृष्णकुमार आठया, हेमराज राना, सुभाष चन्द्र खरे और लक्ष्मन कुमार रिछारिया ने याचिका दायर की थी।
इधर एसीईओ से मांगा जवाब
इधर, मनरेगा के आयुक्त ने समय पर अदालत में जवाबदावा प्रस्तुत नहीं कर पाने से सतना में पदस्थ अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत दयाशंरकर सिंह को नोटिस दिया है। एसीईओ को अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग इकबाल सिंह बैंस के समक्ष तलब किया है।
पहले मिला स्टे फिर निर्णय
जुलानिया के आदेश के खिलाफ रीवा जिला पंचायत में पदस्थ आॅडीटर लाल बहादुर सिंह सहित आधा दर्जन कर्मचारियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने तब प्रारंभिक सुनवाई में स्टे दे दिया था और सरकार से जवाब मांगा था। इसमें भी विभाग की लापरवाही सामने आई और समय पर जवाबदावा प्रस्तुत नहीं किया गया।