नीति बदलें, कहीं तो रोजगार मिले | EDITORIAL

Bhopal Samachar
राकेश दुबे@प्रतिदिन। समय आ गया है सरकार को पासपोर्ट और वीजा नीति में बदलाव करना चाहिए क्योंकि देश के अंदर तो रोजगार का मसला चुनौती पूर्ण होता जा रहा है इसको लेकर सरकार को चुनौतियां झेलनी ही पड़ रही हैं, विदेशों में ब्लू-कॉलर जॉब कर रहे भारतीयों के हाल भी अच्छे नहीं हैं। एक सरकारी के आंकड़े आंकड़े बताते हैं कि अनस्किल्ड कार्यों के लिए विदेश जाने वाले भारतीयों की संख्या में बड़ी तेजी से गिरावट आई है। १८ प्रमुख देशों को जाने वाले भारतीय श्रमिकों की संख्या २०१५ के मुकाबले आधी रह गई है। २०१७ में कुल ३९१०२४ भारतीयों को विदेशों में काम करने की इजाजत दी गई। इसके विपरीत २०१६ में यह संख्या ५२०९३८ और २०१५ में ७८२०८२ थी। 

हालांकि कुछ विशेषज्ञों ने इसका कारण यह बताया है कि भारत सरकार प्रवासी कामगार भारतीयों के हितों को लेकर ज्यादा चौकस हुई है। इनके मुताबिक कई देशों में भारतीयों से न्यूनतम वेतन से भी कम वेतन पर काम कराया जाता है,  भारत सरकार सुनिश्चित कर रही है कि ऐसा न हो। वेतन सुनिश्चित हो। इस बात की पूरी संभावना है कुछ मामलों में बात यही हो, लेकिन बड़ी वजह इसकी यह है कि पश्चिम एशियाई देशों में कंस्ट्रक्शन बिजनेस में सुस्ती आई है। स्वाभाविक रूप से यहां विदेशियों के लिए काम के मौके कम हुए हैं। ओमान जैसे कई देश ऐसे हैं जहां बेरोजगारी के चिंताजनक ढंग से बढ़े स्तर को देखते हुए स्थानीय निवासियों के लिए रोजगार मुहैया कराने पर जोर दिया जा रहा है। 

निश्चित रूप से ये सब  भारतीय श्रम शक्ति के लिए प्रतिकूल हालात हैं, लेकिन जानकारों के मुताबिक स्थितियों में बदलाव की उम्मीद खत्म नहीं हुई है। उम्मीद का एक आधार तो यह है कि जो सरकारें अपने देशवासियों को रोजगार मुहैया कराने के लिए बाहरी कामगारों को रोक रही हैं, वे जल्दी ही अपनी नीति पर पुनर्विचार के लिए प्रेरित हो सकती हैं। 

एक बात यह भी है कि कई देशो के स्थानीय निवासी अमूमन उस तरह के कार्यों में हाथ डालने को तैयार नहीं होते जो प्रवासी मजदूर करने को तैयार बैठे रहते हैं। दूसरी बात यह है कि रोजगार के ठिकानों के रूप में कुछ खास देशों पर ही नजरें टिकाए रहने की नीति उचित नहीं है। अगर कुछ देशों में हालात बदल रहे हैं तो कई अन्य देशों में रोजगार के मौके बन रहे होंगे। जरूरत बस दुनिया के विभिन्न हिस्सों में बदलते हालात को देखते हुए पासपोर्ट और वीजा नीति में जरूरी बदलाव लाने की है ताकि काम की तलाश में लगी युवा शक्ति को देश में काम न मिलने पर  विदेश में काम पर जाने के अवसर से  निराश न होना पड़े। 
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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