राकेश दुबे@प्रतिदिन। आने वाले कल यानि 1 अप्रैल 2018 से केंद्र सरकार देश में उत्पादित होने वाली प्राकृतिक गैस की कीमत छह प्रतिशत बढ़ाने जा रही है। इसका निर्णय भी हो चुका है। इस निर्णय का फायदा ओ एन जी सी के साथ रिलायंस गैस को होगा। आप हम आम उपभोक्ता वैसे ही महंगाई से परेशान है, सरकार के इस निर्णय से जहां सीएनजी व पाइप के जरिए घरों में पहुंचने वाली रसोई गैस महंगी होगी, वहीं यूरिया की लागत भी बढ़ेगी। भारत में बिजली उत्पादन में गैस आधारित बिजली संयंत्रों की हिस्सेदारी बहुत कम है, इसलिए ताजा फैसले का बिजली की दरों पर कोई खास प्रभाव शायद न पड़े।
छह फीसद बढ़ोतरी के साथ गैस की कीमत दो साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है और यह छह महीने के लिए लागू रहेगी। एक यूनिट गैस का दाम २.८९ डॉलर से ३.०६ डॉलर तय किया गया है। गहरे समुद्र और अत्यधिक तापमान-अत्यधिक दबाव वाली जगहों से निकाली जाने वाली गैस की कीमत ६.३० डॉलर से बढ़ा कर ६.७८ डॉलर प्रति यूनिट तय की गई है।
केंद्र सरकार ने सत्तासीन होने के कुछ महीने बाद ही अमेरिका, रूस, कनाडा जैसे गैस-समृद्ध देशों में औसत दरों के आधार पर गैस की कीमत के निर्धारण का जो फार्मूला तय किया था, उसके तहत निर्धारित की गई दर छह माह तक ही लागू रहती है। ६ माह बाद सरकार उसमें संशोधन कर सकती है। अक्तूबर २०१४ में तय किए गए फार्मूले से गैस उत्पादक कंपनियां असंतुष्ट रही हैं, क्योंकि यह फार्मूला तय होने के बाद से अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेंचमार्क कीमत में लगातार गिरावट के कारण गैस की कीमत ढलान पर रही। तब से गैस उत्पादक कंपनियां कीमत को लेकर बराबर असंतोष जाहिर करती रही हैं। वे कहती रही हैं कि उपर्युक्त फार्मूले के कारण गैस उत्पादन का काम लाभदायक नहीं रह गया है। दूसरी ओर, सरकार पर आरोप लगा कि उसने जो फार्मूला तय किया उसके पीछे मंशा एक निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने की थी।
सरकार के ताजा फैसले से जहां गैस के उपभोक्ताओं को चपत लगेगी, वहीं सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ओएनजीसी और निजी क्षेत्र की रिलायंस इंडस्ट्रीज को सबसे ज्यादा फायदा होगा। एक अनुमान के अनुसार ओएनजीसी की सालाना कमाई बढ़ कर इकतालीस सौ करोड़ पर पहुंच जाएगी। देश में रोजाना नौ करोड़ घन मीटर प्राकृतिक गैस का उत्पादन होता है। इसमें सत्तर फीसद उत्पादन भारत की सबसे बड़ी गैस उत्पादक कंपनी ओएनजीसी करती है। भारत गैस की अपनी कुल खपत का आधा हिस्सा आयात करता है। गैस की कीमत में बढ़ोतरी ऐसे समय हुई है जब गैस उत्पादक कंपनियां नए गैस-क्षेत्रों में अरबों रुपए निवेश करनी योजना बना चुकी हैं। कमाई में बढ़ोतरी से उन्हें अपनी नई परियोजनाओं को आगे बढ़ाने में सहूलियत होगी। लेकिन गैस के उपभोक्ताओं को तो ताजा फैसले का कड़वा अनुभव ही होगा।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।