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जाहिर है, उनकी राय को इस फील्ड की चुनौतियों से अनजान किसी शख्स की आशावादिता के रूप में नहीं लिया जा सकता। उन्हें पता है कि निकट-अंतरिक्ष में चलाए जाने वाले उपग्रह संबंधी अभियानों या चांद पर संभावनाएं तलाशने वाले कार्यक्रमों में और पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र से बिल्कुल बाहर निकलकर मंगल ग्रह तक मानवयुक्त यान भेजने में कितना अंतर है।
यह कितना जोखिम भरा और चुनौतीपूर्ण काम है, यह समझते हुए भी अगर टिम पीक जैसे लोग सफलता की उम्मीद जता रहे हैं तो इसके पीछे वजह है इस क्षेत्र में निजी कंपनियों की बढ़ती दिलचस्पी। एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स द्वारा पिछले दिनों फॉल्कन हेवी रॉकेट की कामयाब लॉन्चिंग ने नया इतिहास तो रचा ही, इस क्षेत्र में कुछ नया करने को कसमसा रही ताकतों का आत्मविश्वास भी बढ़ाया है।
यहाँ यह ध्यान देने की बात है कि अंतरिक्ष में अब तक जो भी अभियान चलाए गए, उनके पीछे मुख्य भूमिका विभिन्न देशों के बीच चलने वाली होड़ ने ही निभाई। पहली बार इस क्षेत्र में निजी कंपनियों की दिलचस्पी दिख रही है, जो इन अभियानों की रेल में डबल इंजन लगाने जैसा है। पहली नजर में इसका मतलब यही निकलता है कि आने वाला दौर अंतरिक्ष अभियानों में चमत्कारिक सफलताएं साथ ला सकता है।
मगर हम जानते हैं कि निजी कंपनियों की मुख्य प्रेरक शक्ति मुनाफे की संभावना ही हुआ करती है, जो काफी हद तक ब्रैंड की पॉप्युलैरिटी पर निर्भर करती है। तो हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि अंतरिक्ष के भावी अभियान ब्रैंड प्रमोशन का जरिया भले बनें, पर इसके साथ ही मानव जाति के लिए ठोस उपलब्धियां भी हासिल करते चलें।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।