भोपाल। मध्यप्रदेश के तीन लाख संविदा कर्मचारी शिवराज सिंह सरकार से नाराज हैं। वो नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं। संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल को तो महीना पूरा होने जा रहा है। इस बीच सरकारी गलियारों से खबर लीक हुई है कि सीएम शिवराज सिंह का रुख बदला है। वो संविदा कर्मचारियों की मांगों को चुनाव से पहले पूरा करने के लिए तैयार हैं परंतु हड़ताल के दौरान वो कोई ऐलान नहीं करेंगे क्योंकि इससे गलत संदेश जाएगा। माना जाएगा कि सरकार दवाब में आ गई। यह खबर जहां एक ओर संविदा कर्मचारियों को राहत देती है वहीं दूसरी ओर संदेह भी पैदा करती है, कहीं यह संविदा कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन को टालने की रणनीति तो नहीं।
क्या खबर आई है गलियारों से
कहा जा रहा है कि सरकार इन कर्मचारियों की हड़ताल खत्म होने का इंतजार कर रही है। इसके बाद ही सरकार प्रदेश के सभी तीन लाख संविदा कर्मियों की मांगों पर घोषणा करेगी। हड़ताल के दौरान कोई भी घोषणा हुई तो सरकार के दबाव में आने का संदेश जाएगा। इसका फायदा दूसरे कर्मचारी संगठन उठाकर नए आंदोलन शुरू कर देंगे। कहा जा रहा है कि करीब ढाई लाख संविदाकर्मियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक संगठन के प्रतिनिधिमंडल से 10 मार्च को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी मांगों पर 20 मिनट तक चर्चा की है। मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया था कि कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखेंगे, किसी का नुकसान नहीं होने देंगे। जायज मांगों का परीक्षण कराने के बाद जल्द ही मांगों को लेकर घोषणा करेंगे। सूत्रों के मुताबिक सरकार सभी मांगों का परीक्षण लगभग कर चुकी है। मुख्यमंत्री कुछ मांगों की घोषणा भी करना चाहते हैं, लेकिन हड़ताल जारी है।
क्या यह कोई रणनीति हो सकती है
इस मामले में सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या यह हड़ताल को तोड़ने की कोई नई रणनीति हो सकती है। इससे पहले तक सीएम ने कई बार हड़ताल के दौरान और हड़तालों से पहले कर्मचारियों की मांगें पूरा करने का ऐलान किया है। बाद में घोषणाएं पूरी नहीं की गईं। अध्यापकों के मामले में ऐसा ही हो रहा है। 6वां वेतनमान का मुद्दा सुलझ नहीं पाया, संविलियन का ऐलान हो गया। इसलिए संदेह जताया जा रहा है कि इस तरह की खबर लीक करके कर्मचारियों को कुछ समय तक टालने की कोशिश तो नहीं की जा रही।