मप्र के ढाई लाख संविदा कर्मचारियों का मर्जर होगा | EMPLOYEE NEWS

भोपाल। मध्यप्रदेश के ढाई लाख संविदा कर्मचारियों के 70 से ज्यादा आंदोलन काम आ गए। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने संविदा कर्मचारियों को नियमित करने का रास्ता खोज लिया है। उन्हे समकक्ष पदों पर संविलियन किया जाएगा। इस संदर्भ में विस्तृत बातचीत के लिए 10 मार्च को एक मीटिंग का आयोजन किया गया है। इस मीटिंग में रूपरेखा तय की जाएगी। इसके बाद सीएम शिवराज सिंह संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण का ऐलान करेंगे। 

पत्रकार श्री अनूप दुबोलिया की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में कई विभागों और परियोजनाओं में संविदा पदों पर कर्मचारी 10-15 साल से कार्यरत हैं। पिछले कई सालों से ये नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं। पिछले सात साल में इनके अलग-अलग संगठन 70 से ज्यादा छोटे-बड़े आंदोलन भी कर चुके हैं। इस बीच सरकार ने अध्यापकों के स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन की घोषणा कर दी। पंचायत सचिवों को लिपिकों की तरह वेतनमान दे दिया। इसके बाद संविदा कर्मचारियों की नाराजगी और बढ़ गई है। 

सीएम से मिला महासंघ 
राज्य कर्मचारी कल्याण समिति के चेयरमैन रमेशचंद्र शर्मा ने पिछले पांच महीने में इन संगठनों के ज्ञापन मिलने के बाद सीएम से तीन दौर की बातचीत भी की। नियमित करने की मांग को लेकर मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ, संविदा संयुक्त मंच का आंदोलन भी जारी है। सोमवार को महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष रमेश राठौर ने सीएम से इस बारे में बातचीत भी की। 

यह आ सकती है अड़चन 
नए सेटअप के लिए केंद्र से मंजूरी लेना पड़ सकता है। केंद्र की कई परियोजनाओं में संविदा अधिकारी व कर्मचारी जिन पदों पर कार्यरत हैं, वे पद राज्य के सेटअप में नहीं हैं। इन पदों पर संविलियन होने में तकनीकी दिक्कत आएगी। 

कैडर मैनेजमेंट पर फोकस करना चाहिए 
सरकार को इन्हें रेगुलर करना ही चाहिए। वजह यह है कि एक ही तरह के पद पर दो श्रेणी के संविदा और नियमित कर्मचारी की नीति उचित नहीं है। संविदा पद तो तय अवधि की परियोजनाओं के लिए ही बेहतर होते हैं। राज्य सरकार को कैडर मैनेजमेंट पर ज्यादा फोकस करना चाहिए। केएस शर्मा, रिटायर्ड चीफ सेक्रेटरी, मप्र शासन 

किस विभाग में कार्यरत हैं कितने संविदा कर्मचारी 
पंचायत एवं ग्रामीण विकास 7155 
स्कूल शिक्षा 2918 
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन 18006 
आयुष- पैरामेडिकल 1511 
खेल एवं युवा कल्याण 928 
जन अभियान परिषद 2000 
महिला एवं बाल विकास 1215 
पीएचई 1998 
ऊर्जा 2787 

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