नई दिल्ली। बीमा कंपनियां POLICY बेचते समय तो बड़े लुभावने वादे करतीं हैं परंतु जब CLAIM किया जाता है तो कोई ना कोई बहाना बनाकर उसे खारिज कर देतीं हैं। LIFE INSURANCE के मामले में क्लैम खारिज करने का एक सामान्य बहाना हर कंपनी बनाती है कि बीमित व्यक्ति की मौत पुरानी बीमारी के कारण हुई है जो बीमा कराने से पहले से थी लेकिन इस आधार पर क्लैम खारिज नहीं किया जा सकता। उपभोक्ता फोरम (CONSUMER FORUM) ने कंपनी को फटकार लगाते हुए क्लैम सहित ब्याज की रकम भी अदा करने के आदेश दिए हैं।
भरतपुर राजस्थान के वकील संतोषी लाल गर्ग के अनुसार गांव बगधारी निवासी बनय सिंह पुत्र माधोसिंह ने एक परिवाद मंच के समक्ष पेश किया। जिसमें बताया कि उसकी पत्नी रामवती के जीवन पर एक बीमा पॉलिसी 28 नवंबर 2012 को 85 हजार रुपए की प्राप्त की थी। परिवादी को नॉमिनी नियुक्त किया था। 5 फरवरी 2013 को पत्नी रामवती की पेट दर्द होने के कारण खराब हो गई, जिसे आरबीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां दौराने इलाज 6 फरवरी 2013 को मृत्यु हो गई।
सभी औपचारिकताएं पूरी करते हुए 21 मार्च 2013 को क्लेम किया तो 24 जून 2013 को क्लेम खारिज कर दिया, क्योंकि बीमित महिला बीमा कराने से पूर्व हाईपोथैरोडिन एवं एनिमिया रोग से ग्रसित थी। जिला उपभोक्ता संरक्षण मंच ने महिला के बीमा कराने से पूर्व बीमार होने के आधार पर क्लेम खारिज करना गलत माना और 85 हजार के क्लेम के मय लाभ परिलाभ भुगतान के आदेश दिए हैं। साथ ही परिवाद की तारीख 14 अक्टूबर 2013 से भुगतान तक 7 प्रतिशत वार्षिक साधारण दर से ब्याज व मानसिक संताप एवं परिवाद व्यय स्वरूप 10 हजार रुपए देने के आदेश दिए हैं।