जबलपुर। मुस्लिम युवक द्वारा खुद को हिंदू बताकर शादी करने का मामला सामने आया है। इसमें खास बात यह है कि मुस्लिम युवक अपने परिजनों के साथ हिंदू बनकर युवती के माता पिता से मिला और विधिवत शादी की बातचीत की। भव्य पंडाल लगाकर शादी की जा रही थी। तभी धर्मसेना के कार्यकर्ताओं को इसकी भनक लग गई और पूरे मामले का खुलासा हुआ। पुलिस ने रिजवान अली को गिरफ्तार कर लिया है। हिंदू धर्मसेना के योगेश अग्रवाल ने बताया कि उन्हें दोपहर में सूचना मिली थी कि चार युवक धोखाधड़ी से अपनी पहचान छिपाकर हिंदू लड़की से शादी कर रहे हैं। होटल गुलजार में दोपहर में ही दोनों की शादी की तैयारी हो रही थी। वे मदन महल पुलिस के साथ जब होटल पहुंचे तो बताया गया कि पटेल परिवार की शादी के लिए मंडप बनाया गया है। उन्होंने जब इसकी खोजबीन शुरू की तो पता चला कि साजिद नामक युवक ने होटल गुलजार में बुकिंग कराई थी।
हिंदू बनकर पहुंचे थे रिश्ता लेकर
करेली के पटेल परिवार के यहां रिजवान, साजिद और उसके दो अन्य दोस्त पहुंचे। उन्होने बताया कि वे सभी हिंदू पटेल परिवार के हैं। लड्डू (रिजवान) मूलतः जबलपुर का है और इंजीनियर है। अच्छा-खासा कमाता है और आपकी लड़की को पसंद करता है लेकिन शादी जल्द करना चाहता है। शादी बेहतरीन होगी और आपकी लड़की भी खुश रहेगी। करेली में गरीब पटेल परिवार के माता-पिता चारों युवकों के झांसे में आ गए। उन्होंने परिवार में गमी होने के बावजूद तुरंत ही शादी के लिए हां भी कर दी। शनिवार को वे अपनी लड़की और कुछ परिवारजन को साथ लेकर शादी के लिए जबलपुर आ गए।
दो आधार कार्ड मिले, फोटो एक, नाम अलग-अलग
आरोपी युवक रिजवान अली की तलाशी ली गई तो उसके पास दो आधार कार्ड मिले। दोनों कार्ड में फोटो तो रिजवान अली के ही थे लेकिन दूसरे कार्ड में उसका नाम लड्डू पटेल लिखा हुआ था। आरोपी युवक ने बताया कि उसका असल नाम रिजवान अली है, वो बिहार का रहने वाला है। वह अपने साथियों के साथ शहर में रेलवे ठेकेदार के पास विद्युतीकरण का छोटा मोटा काम करता है।
आधार कार्ड ही नहीं खुला
आधार कार्ड की असलियत पता लगाने के लिए ही मदन महल थाने की पुलिस रिजवान को लेकर ई-गवर्नेंस के आॅफिस पहुंचे। जब आधार कार्ड की पड़ताल शुरू की गई तो बायोमेट्रिक के जरिए उसका असली आधार डाउन लोड किया गया, लेकिन जब डाउनलोडेड आधार को खोलने के लिए उसके नाम के शुरूआती चार अक्षर और जन्म का साल डाला गया तो फाइल नहीं खुली। इस हालत में आधार की असलियत सामने नहीं आ सकी।
तरकीब दौड़ाई तो ऐसे खुली पोल
जब डाउनलोडेड फाइल नहीं खुली तो ई-गवर्नेंस के अधिकारियों ने दूसरी तरकीब अपनाई। सबसे पहले रिजवान के आधार नंबर से लिंक मोबाइल नंबर के माध्यम से उसका एक डिजी लॉकर खोला गया। डिजी लॉकर की आईडी बनने के बाद उसमें आधार कार्ड रखने के लिए मोबाइल पर ओटीपी भेजी गई। ओटीपी के माध्यम से जब आधार लॉकर में आ गया तो उसका असली आधार कार्ड और उसकी डिटेल सामने आ गई। असली आधार कार्ड सामने आने पर पता चला कि रिजवान का आधार मोहम्मद रिज़वान के नाम से बना है और इसमें उसने गढ़ा पुरवा का पता दिया है। वहीं जो आधार कार्ड पुलिस को जब्त हुए थे उसमें नाम मो. रिजवान लिखा हुआ था। इसी प्रकार वोटर आईडी की जांच में पता चला कि यह रिजवान अख्तर के नाम से जारी हुआ है। वोटर आईडी में रिजवान का पता मदरसा नगर टोली पैठान, आमोर, बिहार दर्ज है।