मध्यप्रदेश राज्य शिक्षा केंद्र में विभिन्न जिलों/ब्लॉकों में व्यापंम द्वारा विधिवत चयन परीक्षा के माध्यम से नियुक्त् हुये संविदा डाटा एंट्री ऑपरेटर, लेखापाल, ब्लॉक एम.आई.एस. कॉर्डिनेटर एवं मोबाइल स्त्रोत सलाहकारों को राज्य् शिक्षा केन्द्र के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा अनदेखा करके उनके साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। गौरतलब है कि राज्यर शिक्षा केंद्र में समय-समय पर वर्तमान में प्रचलित मंहगाई दर के अनुसार प्रत्येाक वर्ष अप्रैल माह में सभी कर्मचारियों का मानदेय का निर्धारण किया जाता रहा है।
वर्ष 2017 में भी संविदा कर्मचारियों के मानदेय में बढ़ोतरी की गई परंतु इसमें नवनियुक्तव डाटा एंट्री ऑपरेटर, लेखापाल, ब्लॉयक एम.आई.एस. कॉर्डिनेटर एवं मोबाइल स्त्रोत सलाहकारों के मानदेय में वृद्धि न करते हुये सौतेला व्येवहार किया है। जबकि सभी इन सभी को सेवा में आए लगभग 3 साल हो चुके हैं। इस संबंध में जब अधिकारियों से चर्चा की गई तो उनके द्वारा मानदेय में वृद्धि करने का आश्वासन देकर वापस भेज दिया गया। परंतु लगभग 6 माह व्यतीत होने के बावजूद किसी का भी इस ओर ध्यातन नहीं है।
इस संबंध में जब इन कर्मचारियों से चर्चा की गई तो पता चला कि विभाग का लगभग 90 प्रतिशत कार्य इन्हीं कर्मचारियों के भरोसे चल रहा है। वर्ष 2016 दिसंबर में इनके मानदेय में वृद्धि की गई थी परंतु डाटा एंट्री ऑपरेटर एवं लेखापाल के विभाग में एक ही पद पर होने के बावजूद भी इनके मानदेय में लगभग 6000 रूपये से ज्यादा का अंतर है जो कि शासन समान कार्य समान वेतन की नीति के पूर्णत: विपरीत है और इनके साथ अन्याय है। अगर मार्च 2018 तक इनके मानदेय में वृद्धि नहीं की जाती है तो ये सत्र भी इसी तरह निकल जायेगा जबकि 1 अप्रैल से नया सत्र चालू हो जाता है।
विभाग का एक और बड़ा कारनामा है कि लगभग 2 वर्ष व्यतीत हो जाने के बाद भी स्थागनांतरण नीति का पालन न करते हुये स्थानांतरण नहीं किये जा रहे हैं। कम वेतन में कर्मचारी गृह जिले से दूर रहकर पारिवारिक परेशानियों का सामना कर रहे हैं। जिससे इनके जीवन में अनिश्चितता व्याप्त है। अगर इसी प्रकार इन्होंन अनदेखा किया जाता रहा तो ये एक आंदोलन का रूप ले लेगा जिसका जिम्मेदार स्वयं विभाग होगा।
एक पीड़ित कर्मचारी