भोपाल। यूपी में सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम कैशव मौर्य की गोरखपुर और फूलपुर सीट छीनने के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि 2018 के विधानसभा चुनावों में भी सपा, बसपा एक साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगी परंतु यहां हालात ऐसे नहीं है। सपा का तो कोई जनाधार ही नहीं है। बसपा यहां कांग्रेस को नुक्सान पहुंचाती है, फायदा भाजपा को मिलता है अत: मप्र में गठबंधन कांग्रेस और बसपा के बीच होगा। सूत्र बता रहे हैं कि 200 सीटों पर कांग्रेस लड़ेगी और 30 सीटें बसपा को दी जाएंगी।
भोपाल में क्या चर्चााएं शुरू हुईं
शनिवार को सपा के प्रदेश अध्यक्ष गौरीसिंह यादव ने मीडिया से चर्चा के दौरान एक नए समीकरण को जन्म देने की कोशिश की थी। सिंह ने कहा कि मप्र में साल के अंत में विस चुनाव होने हैं, हमारे पास अभी छह महीने हैं। हम यदि साथ चुनाव लड़े तो मप्र सरकार को कड़ी टक्कर दे सकते हैं। सीटों के बारे में अखिलेश जी और बसपा सुप्रीमो से बातचीत होगी। हमारी सैद्धांतिक सहमति है, सीटों का बंटवारा भी जल्द ही तय हो जाएगा।
दिल्ली में क्या पका रहा है
भोपालसमाचार.कॉम के सूत्र दावा करते हैं कि दिल्ली में कांग्रेस और बसपा के गठबंधन की सैद्धांतिक सहमति बन चुकी है। मप्र की 8 से लेकर 12 सीटों पर सपा जीतने की स्थिति में है जबकि इतनी ही सीटों पर सपा कांग्रेस को कड़ी टक्कर देती है। अत: ये सभी बसपा की प्रभाव वाली सीटों में दर्ज कर ली गईं हैं और इन सभी सीटों पर सपा के प्रत्याशी मैदान में उतारे जाएंगे। कांग्रेस इन सीटों से चुनाव नहीं लड़ेगी, बल्कि बसपा का प्रचार करेगी। शेष 200 सीटों पर बसपा के प्रत्याशी नहीं होंगे। कांग्रेस, सीधे भाजपा से टक्कर लेगी।
अखिलेश से दोस्ती लेकिन सपा के नाम पर कोई विचार नहीं
भोपालसमाचार.कॉम के सूत्र दावा करते हैं कि राहुल गांधी और अखिलेश यादव के बीच अच्छे रिश्ते हैं परंतु मप्र के बारे में दोनों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई। इसकी संभावना भी नहीं है। सपा का मप्र में कोई जनाधान नहीं है। वो आधा दर्जन सीटें भी जीतकर देने की स्थिति में नहीं है। सपा की प्रदेश इकाई 230 सीटों पर टिकट वितरित कर दे, यही उसकी बड़ी सफलता होगी।