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जस्टिस अग्रवाल व जस्टिस सप्रे ने खुली कोर्ट में दिया नोटिस का आदेश इस आधार पर वापस लिया कि जस्टिस सप्रे इसे नहीं सुनना चाहते। कोर्ट में पारित किया गया आदेश कोर्ट मास्टर ने रजिस्टर में नोट करने के बाद काटा। हाईकोर्ट से आए आदेश के बाद अंतरसिंह दरबार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
क्या है मामला
भाजपा विधायक कैलाश विजयवर्गीय के खिलाफ कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले अंतरसिंह दरबार ने 20 जनवरी 2014 को चुनाव याचिका दायर की थी। फैसला देने वाले जस्टिस आलोक वर्मा ने 03 नवम्बर 2017 शुक्रवार को फैसला सुनाया था। वो दोपहर 2.43 बजे कैबिन से कोर्ट रूम में आए और महज 30 सेकंड में 96 पेज के फैसले का सार सुना दिया और दोनों पक्षों के वकीलों को बताया कि याचिका खारिज कर दी गई है। इसमें एक भी आरोप सिद्ध नहीं हुआ।
याचिका में कोर्ट ने ये मुद्दे बनाए
कोर्ट ने याचिका में चार मुद्दे बनाए थे। इनमें मोहर्रम के कार्यक्रम में विजयवर्गीय द्वारा मंच पर मेडल और ट्रॉफी बांटना, पेंशनपुरा में चुनाव प्रचार के दौरान आरती उतारने वाली महिलाओं को नोट बांटना, मतदाताओं को शराब बांटना और मुख्यमंत्री द्वारा चुनावसभा में मेट्रो को महू तक लाने और गरीबों को पट्टे देने की घोषणा शामिल रहीं।