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विद्यार्थियों के साथ ऐसा होता है व्यवहार
90 फीसदी प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नहीं हैं।
ऐसे में बच्चों को ही झाड़ू लगाना पड़ती है।
मध्यान्ह भोजन के बाद थाली-कटोरी के साथ बड़े-बड़े तपेले और बाल्टियां भी साफ करना पड़ती है।
कुछ शिक्षक सामान मंगवाने के लिए भी बच्चों को बाजार भेज देते हैं।
शिक्षक आपसी सहयोग से रखते हैं सफाईकर्मी
कुछ स्कूल इस मामले में उदाहरण भी पेश कर रहे हैं। शासन द्वारा कंटिंजेंसी की राशि प्रत्येक स्कूल को दी जाती है। अगर स्कूल प्रशासन चाहे तो उस राशि से साफ सफाई के लिए एक व्यक्ति नियुक्त कर सकता है। कई स्कूलों में कंटिंजेंसी के साथ-साथ शिक्षक आपस में राशि एकत्र कर इस तरह की व्यवस्था कर रहे हैं। इससे बच्चों पर काम का भार नहीं पड़ता है।