भोपाल। 22 मार्च को आयोजित होने जा रहे कांग्रेस के विधानसभा घेराव का हर कोई इंतजार कर रहा था। समीक्षक देखना चाहते थे कि कांग्रेस में कितना दम है तो कांग्रेसी कार्यकर्ता भी चुनाव से पहले एक बार भोपाल की सड़कों पर कांग्रेसी तिरंगा लहराने की तैयारी कर रहे थे। भाजपा के रणनीतिकार नोटपेड लिए बैठे थे। इस प्रदर्शन से वो अपने अगले 1 साल की रणनीति तैयार करते परंतु सबकुछ धरा रह गया। कांग्रेस का विधानसभा घेराव स्थगित हो गया। पता चला है कि इसके पीछे कारण सिर्फ एक है, मध्यप्रदेश के प्रभारी दीपक बावरिया।
दिल्ली के दरबाद में यह किया मप्र के दिग्गजों ने
शुक्रवार को दिल्ली में प्रदेश कांग्रेस नेताओं की बैठक का आयोजन किया गया। विधानसभा घेराव की तारीख पहले 12 मार्च तय की गई थी जिसे बाद में 22 मार्च किया गया। वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने कहा कि दुर्गा पूजा के कारण धरने में शामिल नहीं हो पाएंगे। इसी बीच प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के बीच भी टिकट के लिए पचास हजार रुपए जमा करने की शर्त को लेकर मतभेद उभर आए। तनातनी बढ़ते देख ज्योतिरादित्य सिंधिया भी आवश्यक काम होने की बात कहते हुए बैठक से चले गए।
मप्र कांग्रेस में बावरिया की तानाशाही का विरोध शुरू
बीते दिनों बावरिया का जो सामंजस्य प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के साथ बना था, वह अब गड़बड़ाता जा रहा है। सूत्रों के अनुसार राज्यसभा चुनाव में भी बावरिया के हिसाब से निर्णय हुआ है जो नेताओं का नागवार गुजरा। कई मामलों में भी बावरिया नेताओं से कह देते हैं कि उनका निर्णय ही अंतिम है। यदि किसी को आपत्ति है तो राहुल गांधी से बात करें। राहुल की टीम के खास सदस्य होने के नाते मामला कुछ दिन तक तो ठीक चला, लेकिन अब नेता प्रतिपक्ष सहित कई नेताओं ने बावरिया के निर्णयों पर असहमति जताना शुरू कर दिया है।