भोपाल। बेतुके बयान देने वाले खंडवा के नेता एवं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान की रवानगी तय है। सीएम शिवराज सिंह चौहान के कारण वो अब तक कुर्सी पर थे परंतु अब शिवराज सिंह का वीटो भी कमजोर हो गया है। दिल्ली नए नाम की तलाश में है। कोई ऐसा जो संघ, भाजपा, जातिवाद और संगठन संचालन की क्षमता के अनुसार फिट बैठता हो। राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की टीम का ऐलान गुड़ी पड़वा के बाद होगा। इसी के तत्काल बाद मप्र, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की भाजपा में भी बड़े बदलाव होंगे।
साफ है कि इसके साथ बाद मप्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में चुनावी रणनीति के तहत बदलाव होंगे। मप्र में इसकी अटकलें बाकी दोनों राज्यों से ज्यादा है क्योंकि प्रदेश अध्यक्ष को बदले जाने की कवायद यहां कुछ माह पहले से चल रही है। पिछले हफ्ते क्षेत्र प्रचारक अरुण जैन के अखिल भारतीय पदाधिकारी बनने और उनकी जगह दीपक विस्पुते के आने के बाद इन संभावनाओं को और बल भी मिला है। मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान का यह दूसरा कार्यकाल है। वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि अब जल्द ही मध्यप्रदेश भाजपा की कमान किसी और को सौंपी जाएगी।
नए चेहरों को लेकर अभी स्थिति साफ इसलिए नहीं है क्योंकि केंद्रीय नेतृत्व के स्तर से लिए गए फीडबैक पर अभी बात नहीं हुई है। बहरहाल, प्रदेश भाजपा में बदलाव के पीछे प्रमुख वजह यह मानी जा रही है कि पार्टी में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ रही है जो नंदकुमार को पंसद नहीं करते। मप्र से सांसद भी इसमें शामिल हैं। इसके अलावा पिछले कुछ उपचुनावों में भाजपा की लगातार हार को भी बड़ी वजह माना जा रहा है। नंदकुमार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह खेमे का माना जाता है।
किसी ने साफ मना किया तो किसी ने बहाना बनाया
मप्र में नए नाम की तलाश लम्बे समय से जारी है। इंदौर से धाकड़ नेता कैलाश विजयवर्गीय का नाम सबसे पहले सुर्खियों में आया था परंतु उन्होंने भोपाल के बजाए दिल्ली को चुना। नरोत्तम मिश्रा चुनाव आयोग के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। भूपेन्द्र सिंह और राकेश सिंह संगठन का काम करने को तैयार नहीं। वो फिर से चुनाव लड़ेंगे। जयभान सिंह पवैया के नाम पर विचार किया गया था परंतु बात नहीं बनीं। प्रभात झा का प्रश्न हीं पैदा नहीं होता और नरेन्द्र सिंह तोमर तीसरी पारी की कोशिश कर रहे हैं परंतु अमित शाह इसके लिए तैयार नहीं।