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सीएम ने कहा कि इस दौरान चर्चा कर ऐसा विकल्प ढूंढा जाएगा जो पहले से चली आ रही ऐसी व्यवस्था को खत्म कर दे जो न्यायोचित नहीं है। सीएम के बयान से साफ होता है कि मध्यप्रदेश की राजनीति में उनसे पार पाना आसान नहीं। जिस वक्त संविदा कर्मचारियों के मुद्दे पर सरकार बैकफुट पर आ गई है और विपक्षी कांग्रेस इसका फायदा लेने की सोच रही है ऐसे वक्त में सीएम शिवराज का ये सियासी सिक्सर चुनावी बाउंड्री पार कराने वाला हो सकता है।
बता दें कि पिछले 1 माह से मध्यप्रदेश में संविदा कर्मचारियों के आंदोलन तेज हो गए हैं। स्वास्थ्य विभाग के संविदा कर्मचारी तो करीब 1 माह से हड़ताल पर हैं। प्रदेश भर की स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गईं हैं। आला अधिकारियों ने हड़ताली कर्मचारियों को बर्खास्त करने की धमकी भी दी परंतु वो काम पर नहीं लौटे। माना जा रहा है कि इस तरह के विरोध प्रदर्शन और ज्यादा तेज होंगे।