भोपाल। मध्यप्रदेश के शिवराज सिंह चौहान की तीसरी पारी तनाव के लिए ही दर्ज की जाएगी। कोलारस-मुुंगावली में 1000 करोड़ के विकास कार्य संबंधी आदेश जारी करने के बाद भी शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा। पसीना सूख नहीं पाया था कि कर्मचारियों की दनादन हड़तालें शुरू हो गईं। बचकर निकल नहीं पाए थे कि अब बेरोजगारों की लामबंदी शुरू हो गई है। अभियान का नाम है 'मध्यप्रदेश मांगे रोजगार' सोशल मीडिया पर इसे हैशटेग MP Wants Employment के साथ चलाया जा रहा है। लोग आक्रोश जता रहे हैं और भड़ास निकाल रहे हैं। कांग्रेसी नेता इस आग में पर्याप्त घी डाल रहे हैं।
मामला मप्र में सरकारी नौकरियों का है। कहने की जरूरत नहीं कि शिवराज सिंह चौहान सरकार अपने वादे पूरे नहीं कर पाई। 2013 से 2018 आ गया, संविदा शाला शिक्षकों की एक भी भर्ती नहीं हुई जबकि हर साल भर्ती परीक्षा आयोजित कराने का प्रावधान था। पुलिस भर्ती में दूसरे प्रदेशों के उम्मीदवारों को नौकरियां दे दी गईं। असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में भी कुछ ऐसा ही है। सरकार मप्र के बेरोजगारों की चिंता ही नहीं कर रही।
2018 चुनावी साल है। सीएम शिवराज सिंह खुद स्वीकार चुके हैं जो कि जो वोट देगा वो लेने की भी उम्मीद करेगा। मोदी की लहर में युवाओं ने थोकबंद वोटिंग की थी। शिवराज सिंह की तीसरी पारी में युवाओं का बड़ा योगदान है। उम्मीद थी कि सभी शिक्षित युवाओं को उनकी योग्यता के अनुसार रोजगार जरूर मिलेगा परंतु ऐसा नहीं हुआ। उल्टा संविदा या दूसरे नाम पर अस्थाई तौर पर नौकरी पर लगाए गए युवाओं को हटा दिया गया। बिना गारंटी वाला 25 लाख का लोन का वादा किया था लेकिन यह योजना फुस्स हो गई। बैंक लोन देने को तैयार नहीं। अब लोग सोशल मीडिया पर भड़ास निकाल रहे हैं। पढ़िए कुछ प्रमुख प्रतिक्रियाएं:
मध्यप्रदेश में पिछले 2 सालों में राज्य में 53% बेरोजगार बढ़े हैं.दिसम्बर 2015 में पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या 15.60लाख थी जो दिसम्बर 2017 में 23.90लाख हो गयी है.— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKN) March 11, 2018
यह आंकड़े बेरोजगारी से झूझ रहे मध्य प्रदेश की वास्तिविकता और सरकार की नाकामी को दर्शाते हैं।#MPWantsEmployment
बेरोज़गारी के आंकडे अब सार्वजनिक नही होंगे..? युवाओं को रोजगार देने में विफल मप्र सरकार अब इस तरह से दामन बचायेगी..?— Jitu Patwari (@jitupatwari) March 11, 2018
—शिवराज जी, युवाओं के भविष्य से खेलना बंद कीजिये, कुछ कर नही सकते तो अब विदा लीजिये..।#MPWantsEmployment
मप्र का युवा रोजगार के लिये दर-दर भटक रहा है और सरकार..? कभी तीर्थ यात्रा, कभी नर्मदा सेवा यात्रा और कभी एकात्म यात्रा में व्यस्त है..?— Abhay Tiwari (@kidliberty) March 11, 2018
—क्या उम्र के आख़री पड़ाव पर की जाने वाली ये यात्राएँ, अब मप्र में भाजपा की उम्र बता रही है..?#MPWantsEmployment
मैं बेरोजगार भाइयों से पुछना चाहता हूं कि जो लोग तुम्हें मंदिर-मस्जिद, धर्म, जाति के नाम पर लड़वाना चाहते हैं, वह तुम्हें रोजगार क्यों देंगे? रोजगार मिलने के बाद तुम तो ऑफिस में व्यस्त हो जाओगे, फिर इनकी नफरत वाली राजनीति के लिए दंगे और गौ रक्षा कौन करेगा?#MPWantsEmployment— Ravish Kumar (@SirRavishRofl) March 11, 2018
किसानों जैसी हालत युवाओं की भी हो गयी है, कि मौत को गले लगाना पड़ रहा है।— Akshay Hunka (@akshayhunka) March 11, 2018
2005 में 45 किसान पर एक युवा बेरोजगारी के कारण आत्महत्या करता था और आज हर दूसरे किसान के साथ एक बेरोजगार।
यह मैं नहीं NCRB की ADSI रिपोर्ट कह रही है। #MPWantsEmployment@_YogendraYadav @swaraj_abhiyan pic.twitter.com/XvNQPHXMSK
2005 में बेरोजगारी की वजह से आत्महत्या करने में मध्य प्रदेश 13वे स्थान पर था जो अब पहले स्थान पर पहुँच गया है. #MPWantsEmployment pic.twitter.com/qWdJEKvFY1— MP Congress (@INCMP) March 11, 2018
पिछले 13 वर्षों में मध्य प्रदेश में बेरोजगारी के कारण आत्महत्या में 20 गुना वृद्धि.— Arun Yadav (@MPArunYadav) March 11, 2018
जहाँ वर्ष 2005 में 29 युवाओं ने बेरोजगारी के कारण आत्महत्या की थी जबकि 2015 में 579 युवाओं ने बेरोजगारी की वजह से आत्महत्या की.#MPWantsEmployment
वो आपको हिन्दू-मुस्लिम में बाटेंगे, पर आप रोजगार पर आड़े रहना।#MPWantsEmployment— Jignesh Mevani (@JigneshMevaniFC) March 11, 2018
पिछले 13 वर्षों में मध्य प्रदेश में बेरोजगारी के कारण आत्महत्या में 20 गुना वृद्धि.— Tejashwi Yadav (@SirTejashwi) March 11, 2018
जहाँ वर्ष 2005 में 29 युवाओं ने बेरोजगारी के कारण आत्महत्या की थी जबकि 2015 में 579 युवाओं ने बेरोजगारी की वजह से आत्महत्या की...#MPWantsEmployment
सत्ता के नशे में चूर भाजपा के नेताओं और संघियों का दिमाग ठिकाने नहीं है... इनको इलाज़ की जरुरत है.. बस 6 महीने और जनता विधानसभा चुनाव में इनका इलाज़ स्वयं कर देगी।#MPWantsEmployment pic.twitter.com/DbyNqMVpWf— JayVermaINC (@JayVermaINC) March 11, 2018
बलात्कार और महिला अत्याचार में सबसे आगे होने के बाद अब मध्यप्रदेश बेरोजगारी के कारण आत्महत्या में भी देश में सबसे आगे है। #MPWantsEmployment— Dr. Anand Rai (@anandrai177) March 11, 2018