भारत में एक और धर्म को सरकारी मान्यता | NATIONAL NEWS

Bhopal Samachar
नई दिल्ली। भारत धर्मों का देश है। दुनिया का शायद ही ऐसा कोई धर्म हो जिसके अनुयायी यहां नहीं रहते। हिंदू, मुस्लिम, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई सहित कुछ प्रमुख धर्मों को सभी जानते हैं, लेेकिन कई ऐसे भी हैं जो किसी क्षेत्र विशेष में ही पाए जाते हैं। जैसे विश्नोई धर्म के अनुयायी केवल राजस्थान के एक क्षेत्र में मिलते हैं। इसी तरह एक धर्म है 'लिंगायत' इस समुदाय के लोग कर्नाटक में पाए जाते हैं। कर्नाटक सरकार ने चुनाव से पहले 'लिंगायत' को सरकारी दस्तावेजों में धर्म की मान्यता दे दी है। 

सरकार ने नागमोहन दास कमेटी की सिफारिशों को मान लिया है और फैसले में लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा दिया गया है। सरकार के फैसले के बाद लिंगायत समुदाय के लोग अलग धर्म का पालन कर सकते हैं। इससे पहले लिंगायत समुदाय के लोगों ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से मुलाकात करके उनके धर्म को अलग मान्यता देने के साथ उन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग की थी।

हिंदू संगठन विरोध में

भाजपा और हिंदू संगठन इसका विरोध करते रहे हैं। वे मानते हैं कि ये कदम हिंदुओं को बांटने के लिए उठाया जा रहा है। वे नहीं चाहते हैं कि लिंगायत और वीरशैव को अलग-अलग धर्म माना जाए। इनका सिद्धारमैया सरकार पर आरोप है कि वह प्रदेश में लोगों को राजनीतिक लाभ के लिए बांट रही है। भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि वह समाज को बांटने नहीं देंगे और लिंगायत को अलग धर्म के रूप में नहीं स्वीकार करेंगे। गौरतलब है कि कर्नाटक में इसी साल अप्रैल या मई महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं। राहुल गांधी प्रदेश के प्रभावशाली लिंगायत समुदाय से जुड़े धार्मिक मठों में गए थे। 

कौन है लिंगायत समुदाय और कौन हैं इनके भगवान

लिंगायत समुदाय मुख्य रूप से बासवन्ना (12वीं सदी) के फॉलोअर्स माने जाते हैं। वासवन्ना ने मूर्ति पूजा का विरोध किया था। वेदों की व्यवस्था खारिज की थी। लिंगायत को वीरशैव भी माना जाता है। वीरशैव शिव की उपासना करते हैं लेकिन लिंगायत इसे सही नहीं मानते हैं। वे कहते हैं कि वीरशैव वासवन्ना से पहले से ही अस्तित्व में हैं। लिंगायत लोग अपने शरीर पर इष्टलिंग धारण करते हैं। लिंगायत समुदाय अपने को वीरशैव से अलग मानते हैं। उनका कहना है कि उन्हें हिंदू धर्म से अलग धर्म की मान्यता दी जाए। वे अल्पसंख्यक दर्जे की मांग कर रहे हैं। भाजपा इसका विरोध करती रही है। 

कर्नाटक के किस इलाके में रहते हैं लिंगायत
लिंगायत समुदाय प्रमुख रूप से कर्नाटक के उत्तरी इलाके में प्रभाव रखती है। दक्षिणी इलाके में वोक्कालिगा समुदाय प्रभावशाली हैं। इन दोनों जातियों के बीच अब प्रतिस्पर्धा रहती है। लिंगायत कर्नाटक की अगड़ी जातियों में आते हैं। राज्य की आबादी में 17%  से 18 % लिंगायत हैं।

लिंगायत ने 2013 में भाजपा को हराया था
1989 में जब राजीव गांधी ने वीरेन्द्र पाटिल को सीएम पद से हटा दिया था, तब लिंगायत समुदाय कांग्रेस से नाराज हो गया। इस समुदाय ने राम कृष्ण हेगड़े का हाथ थाम लिया। रामकृष्ण हेगड़े के बाद लिंगायत समुदाय ने बीएस येदियुरप्पा को अपना नेता चुना लेकिन बीच में जब भाजपा ने उन्हें सत्ता से हटा दिया, तो लिंगायत समुदाय नाराज हो गए। उन्होंने 2013 में भाजपा के खिलाफ मतदान किया था। भाजपा चुनाव हार गई। शायद यही वजह है कि इस बार भाजपा ने पहले ही येदियुरप्पा को सीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर रखा है। 

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!