अम्बाला सिटी। शादी के बाद विदा हुई 19 साल की दुल्हन ससुराल पहुंचने से पहले ही अस्पताल पहुंच गई। यहां उसने एक बेटी को जन्म दिया। बुधवार रात जैसे ही राजस्थान का एक परिवार जालंधर से डोली लेकर घर की तरफ रवाना हुआ तो कार में सवार दुल्हन को लुधियाना-राजपुरा के बीच लेबर पेन शुरू हो गया। दर्द बर्दाश्त के बाहर होते ही होते ही उसे अस्पताल में दाखिल कराया गया। जहां गुरुवार सुबह उसने एक बच्ची को जन्म दिया। किसी तरह का विवाद न हो, इसलिए दूल्हा अपनी दुल्हन और बेटी लेकर वहां से चले गए।
दूल्हा बोला- ये मेरी ही बेटी है
जब दूल्हे से पूछा गया कि क्या यह सब उन्हें मालूम था और यह किसकी बेटी है? तब वह खुलकर कुछ नहीं बोल पाया। बस इतना जरूर कहा कि यह उसकी बेटी है और उसे इस पर किसी तरह का अफसोस नहीं है। दूसरी तरफ दुल्हन ने भी कोई जवाब देना जरूरी नहीं समझा। हालांकि, मामले में बड़ा झोल लग रहा है, जिसे लेकर महिला आयोग ने जांच शुरू कर दी है।
महिला आयोग की सदस्य नम्रता गौड़ ने बताया, "यह मामला संज्ञान में आते ही मैं दुल्हन से बातचीत करने अस्पताल पहुंची। अभी दुल्हन से मां बनी महिला की हालत ठीक नहीं है। परिवार भी खुलकर बोल नहीं सका। इसे लेकर मैं चेयरपर्सन से बात करूंगी।"
दो साल पहले तय हुई थी शादी
शादी के महज 12 घंटे के दौरान दूल्हे से एक बेटी के पिता बने राजस्थान भरतपुर का रहने वाला 21 साल के युवक ने बताया कि करीब दो साल पहले उसकी जालंधर में रहने वाली युवती संग सगाई हुई थी। इस बीच वह युवती से मिलता-जुलता रहा। दोनों पक्षों के बीच 28 फरवरी का दिन शादी के लिए तय हुआ। मंगलवार को वह परिवार व अन्य रिश्तेदारों के साथ जालंधर पहुंचे। फिर बुधवार को उसकी युवती संग शादी हुई।
बदनामी के डर से रिश्तेदारों से छिपकर रह रही थी लड़की
तमाम रस्में पूरी होने के बाद वह रात को डोली लेकर राजस्थान के लिए रवाना हो गए। उसने बताया कि लुधियाना-राजपुरा के बीच में दुल्हन को लेबर पेन हुआ। वह राजपुरा से आगे पहुंचे तो पेन बढ़ गया। रात करीब सवा 1 बजे वह सिविल अस्पताल पहुंचे। यहां गुरुवार सुबह सवा 4 बजे पत्नी ने बेटी को जन्म दिया। यहां खास बात यह है कि युवती प्रेग्नेंट होने के बाद से अपनी रिश्तेदारी में छिपकर रह रही थी ताकि उसकी बदनामी न हो सके।
मर्जी से जा रहे हैं, फाइल पर लिखकर निकल गए दूल्हा-दुल्हन
अस्पताल में दुल्हन की डिलीवरी करवाने पहुंचे परिवार से डॉक्टर ने पूछा कि पहले कहां चेकअप करवाया है तो उन्होंने इंकार कर दिया। फाइल पर लिखा कि दुल्हन को किसी अस्पताल में चेकअप या अल्ट्रासाउंड नहीं करवाया। बच्चे के नफा-नुकसान के वे खुद जिम्मेदार हैं। जब दोपहर को उन्होंने डिस्चार्ज करने की बात स्टाफ से कही तो उन्होंने दुल्हन को छुट्टी देने से इंकार कर दिया। फिर वह फाइल पर अपनी मर्जी से जाने की बात लिखकर चले गए।
बच्चा फेंका नहीं, यह बड़ी बात
चाहे इस मामले को लेकर दूल्हा व दुल्हन पक्ष के लोग कुछ भी सोच रहे हों, लेकिन एक बात साफ है कि दूल्हे ने दुल्हन के गर्भवती होने के बाद भी उसे अपनाया और उसे शादी करके घर लेकर गया। दूसरी तरफ उन्होंने किसी प्राइवेट जगह डिलीवरी न करवाकर सरकारी अस्पताल में जाना उचित समझा। वह चाहते तो बच्चे को डिलीवरी के बाद कहीं भी छोड़ सकते थे।