नई दिल्ली। बाबा रामदेव को कौन नहीं जानता। मुफ्त योग शिक्षा के नाम पर भीड़ खड़ी की, फिर विदेशी कंपनियों पर लांछन लगाकर बाजार खाली करवाया और पतंजलि लेकर कूद गए। देश भर में पतंजलि से पहले भी सैंकड़ों कंपनियां आयुर्वेदिक उत्पात बना रहीं थीं परंतु रामदेव ने किसी पर भरोसा नहीं किया। अपनी कंपनी बनाई। अब बाबा रामदेव एक नए प्लान पर काम कर रहे हैं। भारत का साधु समाज उन्हे मान्यता नहीं देता, बावजूद वो सन्यास की दीक्षा देने जा रहे हैं। ऐसे वैसे नहीं एमबीए और इंजीनियरिंग पास सन्यासी। आने वाले कुछ सालों में वो सन्यासियों की फौज खड़ी करना चाहते हैं। इसके सहारे वो कौन सी कंपनी चलाएंगे यह भविष्य ही बताएगा, फिलहाल पढ़िए क्या चल रहा है हरिद्वार में:
सन्यास का ट्रेनिंग केंप लगा है
योग गुरू बाबा रामदेव अब साधु-सन्यासियों की फौज तैयार कर रहे हैं। जिसके लिए उनके आश्रम में बाकायदा ब्रह्मचारियों का ट्रेनिंग कैंप चल रहा है। इस कैंप में संन्यासी बनने के लिए ब्रह्मचारी और ब्रह्मचारिणी बड़ी संख्या में भाग ले रहे हैं। ट्रेनिंग कैंप 85 ब्रह्मचारियों और ब्रह्मचारिणियों को सन्यास दीक्षा के लिए चयनित किया गया है। भारत में साधु संतों का कोई उत्तराधिकार नहीं होता परंतु रामदेव का कहना है कि ये सन्यासी ही उनके उत्तराधिकारी होंगे।
रामदेव ने खुद परीक्षा ली थी उम्मीदवारों की
बता दें 35 ब्रह्मचारिणी और 50 ब्रह्मचारी सन्यास दीक्षा के लिए चयनित किये गए हैं। जिन्हें योग गुरू स्वामी रामदेव ने खुद चुना है। इनकी बाकायदा परीक्षा ली गई और स्वामी रामदेव ने इनसे चारों वेदों के बारे में सवाल-जवाब किए। इन ब्रह्मचारियों और ब्रह्मचारिणियों को कठिन उपवास भी करना पड़ा।
रामनवमी को देंगे सन्यास की दीक्षा
गौरतलब है कि पहले चरण में चयनित ब्रह्मचारी और ब्रह्मचारिणियों को 25 मार्च को राम-नवमी के दिन स्वामी रामदेव खुद संन्यास की दीक्षा देंगे। पहली बार स्वामी रामदेव किसी को संन्यास की दीक्षा दे रहे हैं। बताया जा रहा है कि स्वामी रामदेव ने राम-नवमी के दिन ही संन्यास लिया था। इसलिए उनके लिए यह दिन बेहद अहम है। स्वामी रामदेव हजारों की संख्या में संन्यासियों की फौज खड़ी करना चाहते हैं। आने वाले आठ-दस सालों में पतंजलि योगपीठ के संन्यासियों की तादाद 50 हजार तक पहुंच सकती है।
इंजीनियरिंग, एमबीए पास बनेंगे सन्यासी
ये बात भी सामने आई है कि इन संन्यासियों में उच्च शिक्षा प्राप्त सन्यासी भी शामिल हैं। 25 मार्च को राम-नवमी के दिन इसकी शुरुआत करते हुए ब्रह्मचारी और ब्रह्मचारिणी सन्यास की दीक्षा लेंगे। इनमें कई इंजीनियरिंग, एमबीए पास भी हैं। ये अपना सौभाग्य मानते हैं कि उन्हें स्वामी रामदेव जैसे एक महान संन्यासी और साधक से संन्यास दीक्षा लेने का अवसर मिला है।
भारत का संत समाज नहीं देता मान्यता
भारत का संत समाज बाबा रामदेव को साधु, संत या सन्यासी की श्रेणी में नहीं मानता। यही कारण है कि सिंहस्थ महाकुंभ में उनको कोई निमंत्रण तक नहीं दिया जाता। इसके अलावा भारत में संत समाज के सभी कार्यक्रमोें में बाबा रामदेव को आमंत्रित नहीं किया जाता। कुछ अवसरों पर भारत के प्रतिष्ठित साधु संत रामदेव के भगवा पर भी सवाल उठा चुके हैं।