
बदरवास क्षेत्र के सिंध नदी के अखाई घाट पर अक्सर स्थानीय ग्रामीण जन नदी के किनारे नहाने-कपडे धोने के लिए जाया करते है। उसी जगह 26 फरवरी को जब रेत करोबारी रेत का खनन कर रहे थे तो उक्त पत्थर रेत खनन में परेशनी पैदा कर रहा था। रेत में दबे इस पत्थर को जब मशीन हटाया तो वह उल्टा हो गया। जब यह पत्थर पलटा तो वहां पर उपस्थित जनसमुदाय हतप्रभ रह गया। यह पत्थर एक प्राचीन प्रतिमा की तरह दिख रहा था।
स्थानीय नागरिकों ने इसे साफ किया तो यह जैन सम्प्रदाय की प्रतिमा निकली। इसे भगवान महावीर की प्रतिमा बताया जा रहा है। स्थानीय जैन समाज को इसकी सूचना दी। जैन समाज ने इस मूर्ति को देखा तो यह मूर्ति भगवान महावीर स्वामी की निकली। उक्त मूर्ति को बदरवास के स्थानीय मंदिर में रखवा दिया है। बताया जा रहा है कि उक्त मूर्ति पर स्थानीय नागरिक वर्षो से नहा रहे थे और कपड़े धो रहे थे।