चैत्र नवरात्र का प्रारंभ 18 मार्च से होने जा रहा है। यह लगातार चौथा साल है जब नवरात्र आठ दिन की मनाई जाएगी। 25 मार्च को अष्टमी और नवमी एक साथ ही पड़ जाने के कारण यह संयोग बना है। ज्योतिषाचार्य पं. विनोद गौतम ने बताया कि इस साल उतराभाद्रपद नक्षत्र एवं मीन राशि में नया साल शुरू होगा। वहीं सर्वार्थसिद्धि सिद्धि योग में नवरात्र का शुभारंभ होगा। इस दिन सूर्योदय के साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग शुरू हो जाएगा, जो शाम 7ः53 बजे तक रहेगा। इस बार चैत्र नवरात्र में कई विशेष संयोग बन रहे हैं। 18 से घट स्थापना के साथ शक्ति की आराधना शुरू की जाएगी। यूं तो 25 तारीख को अष्टमी एवं नवमी है लेकिन साधकों को 26 तारीख को ही पुष्य नक्षत्र में जवारों का विसर्जन करके 9 दिन का पूर्ण व्रत संपन्ना करना ही शास्त्र सम्मत है।
सृष्टि के आरंभ का दिन माना जाता है गुड़ी पड़वा
पं. विनोद गौतम ने बताया कि चैत्र शुक्ल पक्ष गुड़ी पड़वा सृष्टि के सृजन व आरंभ का पहला दिन माना जाता है। शास्त्रों में उल्लेख है कि इस दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि का सृजन किया था। इसके साथ ही चैत्र शुक्ल पक्ष गुड़ी पड़वा पर नवरात्र पर देवी की घट स्थापना की जाती है। साधक मां की आराधना शुरू करते हैं एवं व्रत रखते हैं। नवरात्र के हर दिन मां के अलग अलग रूपों की आराधना की जाती है।
नवरात्र के हर दिन दूसरा पर्व भी
पहले दिन 18 मार्च को मां शैलपुत्री की आराधना की जाएगी।
दूसरे दिन 19 को ब्रह्मचारिणी देवी का घर आंगन में आगमन होगा, इसी दिन झूले लाल जयंती भी रहेगी।
तीसरे दिन 20 को मां चंद्रघंटा की पूजा होगी, इसके साथ गणगौर तीज का व्रत भी किया जाएगा।
21 को कुष्मांडा देवी का आगमन होगा, इस दिन वैनायकी गणेश चतुर्थी का व्रत भी किया जाएगा।
22 को पांचवी देवी स्कंद माता का आगमन होगा, साथ ही श्री पंचमी का व्रत भी किया जाएगा।
23 को छटवीं देवी कात्यायनी का आगमन होगा। यह व्रत कुंवारी कन्याओं को करना चाहिए। इससे उन्हें योग्य वर की प्राप्ति होती है।
24 को 7वीं माता कालरात्रि का आगमन होगा, उनकी पूजा की जाएगी। इस दिन भाता सप्तमी और कमला सप्तमी का व्रत किया जाएगा।
25 को दुर्गाअष्ठमी एवं महानवमी की व्रत किया जाएगा। महागौरी और सिद्धिदात्री एक ही विमान से आएंगी।
इसी प्रकार 26 को पुष्य नक्षत्र में जवारों का विसर्जन करके 9 दिन का पूर्ण व्रत संपन्न होगा। रात 11ः59 तक पुष्य नक्षत्र रहेगा। जिसके बाद व्रत का समापन किया जाएगा। साधकों को 8 दिन का व्रत न करके 9 दिन का व्रत पूरा करना चाहिए।