भोपाल। मध्यप्रदेश में करीब ढाई लाख संविदा कर्मचारी कार्यरत हैं। सभी नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं। इस हेतु मांग प्रदर्शन भी कर रहे हैं। आधे से ज्यादा संविदा कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं। स्वास्थ्य विभाग के लगभग सभी संविदा कर्मचारी हड़ताल पर हैं जिससे स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रहीं हैं। सीएम शिवराज सिंह ने कहा है कि वो जल्द ही संविदा कर्मचारियों के संदर्भ में अच्छा फैसला लेंगे जबकि वित्तमंत्री जयंत मलैया का कहना है कि संविदा कर्मचारियों को नियमित करने का प्रावधान ही नहीं है। लोकतंत्र में जनता की अदालत सबसे बड़ी अदालत होती है। सवाल यह है कि जनता क्या चाहती है।
संविदा कर्मचारियों की दलीलें
संविदा कर्मचारियों का कहना है कि सरकार लम्बे समय से उनसे काम ले रही है। सरकार के लगभग सभी प्रमुख काम संविदा कर्मचारी कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की स्थिति तो यह है कि बिना संविदा कर्मचारी वो ठप सा हो गया है। जिस ई-गवर्नेंस की सफलता पर सीएम इतराते हैं, पुरुस्कार पाते हैं वो पूरी की पूरी संविदा कर्मचारियों के भरोसे है। संविदा कर्मचारियों का कहना है कि वो नियमित कर्मचारियों से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्हे सेवाएं देते हुए लम्बा समय बीत गया है। अब उन्हे नियमित किया जाना चाहिए। ठीक वैसे ही जैसे दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों एवं संविदा शिक्षकों को किया गया है।
सरकार के तर्क क्या है
वित्तमंत्री जयंत मलैया ने साफ तौर पर कह दिया है कि इसके लिए कोई प्रावधान ही नहीं है। इसके अलावा नौकरशाहों का कहना है कि संविदा कर्मचारी की भर्ती से पहले स्पष्ट कर दिया था कि यह एक अस्थाई सेवा है। आपकी सेवाएं कभी भी समाप्त की जा सकतीं हैं एवं ये कभी भी नियमित नहीं होंगी। सेवा नियमों के अनुसार संविदा कर्मचारियों के पास कोई अधिकार नहीं कि वो इस तरह की मांग करें।
आप क्या फैसला लेते
सवाल यह है कि यदि यह स्थिति आपके सामने आती तो आप क्या फैसला लेते। संविदा कर्मचारियों को नियमित करते या नहीं। अपना फैसला सुनाने के लिए कृपया नीचे दिए गए आप्शन यस या नो पर क्लिक करें। हो सकता है आपका फैसला काम आ जाए।