नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी जिस स्पीड से आगे जा रहे हैं, संघ के दिग्गजों को लगता है कि इससे आरएसएस को नुक्सान हो सकता है। वो चिंतित हैं कि कहीं ऐसा ना हो कि नरेंद्र मोदी का नाम आरएसएस से बड़ा हो जाए और ऐसे हालात बन जाएं कि नरेंद्र मोदी को नियंत्रित ही ना किया जा सके। पिछले दिनों आरएसएस की नागपुर बैठक में जो कुछ फैसले हुए, वो इसी रणनीति से प्रभावित थे। आरएसएस में संघ प्रमुख यानी संघचालक के बाद सरकार्यवाह ही सबसे बड़ा और अधिकार वाला पद है। नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद से लगातार यह कोशिश कर रहे हैं कि सरकार्यवाह के पद पर उनकी मर्जी के दत्तात्रय होसबले विराजमान हो जाएं, लेकिन संघ की नागपुर लॉबी दो बार मोदी की इन कोशिशों को गच्चा दे चुकी है। पहली बार 2015 में और दूसरी बार 2018 में भी।
इसके पीछे की वजह यह है कि दत्तात्रय होसबले संघ की शाखा से निकलकर नहीं, बल्कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से संघ में आए हैं। संघ के लोगों के बीच यह धारणा भी बहुत गहरे तक है कि संघ की शाखाओं में बचपन से शामिल होने वाले स्वयंसेवकों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए, क्योंकि दूसरे संगठनों से लोग युवावस्था में पद और अधिकार की लालसा के साथ संघ में आते हैं और बड़े-बड़े पदों पर पहुंच जाते हैं।
मोदी के कारण हटाए गए डॉ़ मनमोहन को पदोन्नति
मोदी की पसंद होसबले को रोकने के साथ ही सरकार्यवाह के नीचे जो छह सह सरकार्यवाह बनाए गए हैं, उनमें भी अपना बहुमत बनाने में नागपुर लॉबी कामयाब रही है। छह सह सरकार्यवाह में से चार नागुपर लॉबी के अपने करीबी लोग हैं। सबसे बड़ा घटनाक्रम तो यह है कि मोदी की वजह से गुजरात प्रांत प्रचारक पद से हटाए गए डॉ़ मनमोहन वैद्य को सहसरकार्यवाह बनाया गया है। मनमोहन वैद्य संघ के बड़े नेता मा.गो.वैद्य के बेटे हैं।
डॉ कृष्णगोपाल: मोदी मंत्रिमंडल में पकड़
इसके अलावा सह सरकार्यवाह बनाए गए डॉ कृष्णगोपाल केंद्र की बीजेपी सरकार और संघ के बीच की अधिकृत कड़ी हैं। डॉ. कृष्णगोपाल संघ में सत्ता का बड़ा केंद्र माने जाते हैं, वह भी नागपुर लॉबी के करीबी हैं। उनकी सिफारिश पर मोदी मंत्रिमंडल में कई लोग मंत्री बने हैं, वही लोग मोदी की कार्यशैली की शिकायतें उन तक पहुंचा रहे हैं।
सुरेश सोनी: मोदी विरोधी
दूसरे सह सरकार्यवाह सुरेश सोनी मध्यप्रदेश से हैं और मोदी की बजाय राजनाथ सिंह के करीबी हैं। राजनाथ सिंह को भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने में इनकी मुख्य भूमिका रही। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद शुरुआत में मध्यप्रदेश भाजपा ने मोदी के प्रति जो उदास रवैया अपनाया था, उसके पीछे भी संघ में मोदी को लेकर चल रहा द्वंद ही मुख्य वजह रही।
वी.भागैया और मुकुंद सी़ आर: मोदी नहीं संघ का कैडर
तीसरे सह सरकार्यवाह वी.भागैया संघ की शाखा से निकले हैं और शाखा को संघ की सबसे गौरवशाली इकाई मानने वाली नागपुर लॉबी के प्रबल पक्षधर माने जाते हैं। वह तेलंगाना के हैं और संघ के अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख रहे हैं। इसके अलावा जिन मुकुंद सी़ आर को सह सरकार्यवाह बनाया गया है, वह भी संघ की शाखा से निकले कैडर के ही हैं।