नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में व्यवस्था दी है कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 22 कृषि भूमि पर भी लागू होगी। धारा 22 के अनुसार संयुक्त हिंदू परिवार की संपत्ति का बंटवारा होने से पहले यदि उत्तराधिकार में मिली संपत्ति कोई एक सदस्य बेचना चाहे तो अन्य वारिस उस संपत्ति को खरीदने का दावा प्राथमिकता के आधार पर कर सकते हैं। इस व्यवस्था से पहले कृषि भूमि को हिस्सेदार किसी अन्य खरीदार को बेच सकता था। अब हिस्सेदार को अपने हिस्सा बेचने से पहले अन्य हिस्सेदार से सहमति लेनी होगी। हाईकोर्ट ने यह व्यवस्था देते हुए स्पष्ट किया कि हिंदू सक्सेशन एक्ट के प्रावधान कृषि भूमि से जुड़े विवादों पर लागू होंगे।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी की खंडपीठ ने दो विरोधाभासी एकल पीठों के निर्णयों पर अपना निर्णय सुनाया। गौरतलब है कि वर्ष 2008 में हाईकोर्ट की एकल पीठ ने फैसला सुनाया था कि हिंदू सक्सेशन एक्ट के प्रावधान कृषि भूमि की बिक्री पर लागू नहीं होते, जबकि वर्ष 2015 में पारित फैसले में दूसरी एकल पीठ ने निर्णय सुनाया था कि एक्ट के प्रावधान कृषि भूमि की बिक्री पर लागू होते हैं। इस विरोधाभास के ध्यान में आने के बाद एकल पीठ ने इस मामले को हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष उचित फैसले के लिए भेजा था।
खंडपीठ ने वर्ष 2015 में पारित फैसले को सही करार देते स्पष्ट किया कि एक्ट की धारा 22 के मुताबिक कृषि योग्य भूमि सहित सभी तरह की भूमि से जुड़े विवादों के लिए हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के प्रावधान लागू होंगे।