नई दिल्ली। तेजस या शताब्दी एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों में सफर करने वाले यात्री आम नहीं होते। निश्चित रूप से वो खास होते हैं, प्रगतिशील होते हैं, धनवान होते हैं और कम से कम सभ्य समाज के प्रतिनिधि तो जरूर होते हैं परंतु शायद यह केवल एक धारणा है क्योंकि ये सभ्य समाज के प्रतिनिधि तेजस या शताब्दी एक्सप्रेस में लगीं एलसीडी स्क्रीन्स को नुक्सान पहुंचाते हैं और इनके पड़ौस में बैठा दूसरा यात्री सबकुछ देखकर चुप रहता है। ना रोकता है ना शिकायत करता है।
रेलवे ने तेजस या शताब्दी एक्सप्रेस में यात्री की सीट पर उसे फिल्म देखने, विडियो गेम खेलने और गाने सुनने की सुविधा उपलब्ध कराई थी। परंतु अब इसे बंद किया जा रहा है। रेलवे ने इन ट्रेनों के कोचों से एलसीडी स्क्रीन्स को हटाने का फैसला लिया है। इसकी वजह रेलवे की कोई आंतरिक नीति नहीं है बल्कि यात्रियों की बदसलूकी है। यात्रियों की ओर से इन ट्रेनों में लगी एलसीडी स्क्रीनों को नुकसान पहुंचाए जाने के मामले लगातार सामने आ रहे थे। इसके बाद रेलवे ने तेजस और शताब्दी जैसी प्रीमियम ट्रेनों से इन्हें हटाने का फैसला लिया।
हाल ही में अहमदाबाद-मुंबई शताब्दी एक्सप्रेस में लगे अनुभूति कोचों में भी ऐसी एलसीडी स्क्रीन्स थीं, जिन्हें अब हटाने का फैसला लिया गया है। अकसर रेलवे को एलसीडी स्क्रीन्स के वायर टूटे मिलते थे, स्क्रीन को नुकसान पहुंचाया जाता था या फिर पावर स्विच ही हटे मिलते थे। ऐसे में रेलवे ने अब यात्रियों से इस सुविधा को ही वापस लेने का फैसला ले लिया है।
सूत्रों के मुताबिक रेलवे ने अपने सभी जोन्स को इन स्क्रीन्स को हटाने का आदेश दिया है और इस पर काम भी शुरू हो गया है। रेलवे के एक अधिकारी ने बताया, 'यह आदेश फरवरी में जारी किया गया था और जोनल रेलवेज की ओर से जल्दी ही इन डिवाइसेज को हटाने का काम शुरू होगा।'