
बता दें कि कांग्रेस में ग्वालियर से तात्पर्य ज्योतिरादित्य सिंधिया से निकाला जाता है। यदि तन्खा के शब्दों का सरल अर्थ निकाला जाए तो उन्होंने संकेत दिया है कि अंतत: मप्र में कांग्रेस के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ही होंगे, चाहे उन्हे सीएम कैंडिडेट घोषित किया जाए या नहीं। बता दें कि विवेक तन्खा के कमलनाथ से भी काफी अच्छे रिश्ते हैं और वो दिग्विजय सिंह के भी नजदीकी हैं। मप्र कांग्रेस में विवेक तन्खा अकेले ऐसे नेता हैं जो सभी गुटों में स्वीकार्य हैं।
इससे पहले प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया, नेताप्रतिपक्ष अजय सिंह एवं प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव स्पष्ट रूप से कह चुके हैं कि मप्र में कांग्रेस बिना चेहरे के चुनाव लड़ेगी। हालांकि दीपक बावरिया के फैसले अब पलटने लगे हैं। दावेदारों से 50 हजार चंदा वसूली का फैसला पलट चुका है। टिकट वितरण का वक्त आते आते फार्मूला 60 भी हर हाल में पलट जाए और रही बात चेहरे की तो वो होगा या नहीं, यह दीपक बावरिया के बस में भी नहीं है।