भोपाल। लोकायुक्त छापे में धार के जिला आबकारी अधिकारी के पास 100 करोड से अधिक की संपत्ति, 1.24 करोड नक़द एवं डायरी में 1 मंत्री और 3 आईएएस अफ़सरों से लेनदेन के सबूत मिले हैं। बता दें की लोकायुक्त की गिरफ्त में आए धार के जिला आबकारी अधिकारी पराक्रम सिंह चंद्रावत मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग से चयनित अफसर नहीं बल्कि दिग्विजय सिंह सरकार ने उन्हें नियमों के विपरित जाकर सीधे राजपत्रित अधिकारी बनाया था। चंद्रावत को नियुक्ति एक तत्कालीन मंत्री के दबाव में दी गई थी।
नियमविरुद्ध मिला था राजपत्रित अधिकारी का पद
नियमानुसार राजपत्रित अधिकारी के पद पर अनुकंपा नियुक्ति दिए जाने का नियम नहीं है। अब तक सिर्फ तृतीय श्रेणी के पद पर ही अनुकंपा नियुक्ति दी जा सकती है। इसके बावजूद तत्कालीन मंत्री महेंद्र सिंह (अब स्व) कालूखेड़ा के नजदीकी रिश्तेदार होने के चलते दिग्विजय सरकार ने चंद्रावत को जिला आबकारी अधिकारी के पद पर कैबिनेट से अनुमोदन लेकर नियुक्ति दी थी।
कई शिकायतें लंबित
राज्य सरकार के पास चंद्रावत के खिलाफ भ्रष्टाचार से लेकर नियमों को ताक पर रखकर काम करने की कई शिकायतें लंबित हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय से भी जांच के निर्देश के बावजूद मंत्रालय में तैनात अफसरों ने चंद्रावत को संरक्षण दे रखा था। मई 2017 में चंद्रावत ने बिना अनुमति लिए फ्रांस और स्विट्जरलैण्ड की यात्रा की। यात्रा से लौटने पर जांच हुई तो जवाब में चंद्रावत ने कहा कि वे बिना किसी सरकारी मदद या अनुदान के विदेश यात्रा पर गए थे इसलिए उन पर यह नियम लागू नहीं होता। जिस उपायुक्त को सरकार ने जांच सौंपी उसने भी गोलमोल रिपोर्ट देकर कह दिया कि चंद्रावत की विदेश यात्रा की फाइल सरकार के पास है इसलिए जांच नहीं की जा सकती। खास बात ये है कि सरकार ने नियमों के विपरित जाकर चंद्रावत को कार्योतर स्वीकृति देकर मामले को रफा दफा कर दिया। धार में पदस्थ रहने के दौरान चंद्रावत को एक बार हटाया जा चुका है। फिर भी रसूख के दम पर चंद्रावत ने दोबारा वहां तैनाती पा ली।
हटाएगी सरकार
अभी लोकायुक्त या विभाग की ओर से अधिकृृत जानकारी नहीं आई है। जैसे ही अधिकृत जानकारी आएगी चंद्रावत को धार से हटाकर निलंबित कर दिया जाएगा। जयंत मलैया, वाणिज्यिककर मंत्री