भोपाल। मध्यप्रदेश के जंगल और वन्यप्राणियों की सुरक्षा के लिए गठित किए गए वनविभाग में भ्रष्टाचार नंबर 1 की स्थिति में आ गया है। विभाग के 40 आईएफएस अफसर भ्रष्टाचार के मामलों मं जांच की जद में है। यह जानकारी राज्य सरकार ने एक सवाल के जवाब में दी है। यानि कि जिन आईएफएस अफसरों के जिम्में प्रदेश के वन और वन्य़ प्राणियों के सुरक्षा की जिम्मेदारी रही, उन्ही अफसरों ने वन और वन्यप्राणियों के नाम पर बड़े भ्रष्टाचार को अंजाम दिया।
ये हैं मप्र के दागी आईएफएस
सरकार की ओर से जारी जानकारी के मुताबिक साल 2011 से लेकर साल 2018 के बीच में जिन आईएफएस अफसरों के खिलाफ लोकायुक्त और केंद्रीय एजेंसियों में भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज है, उनमें अजय यादव, पंकज अग्रवाल, बीएस अन्नागिरी, रमेश के दवे, मुंशी सिंह राणा, आर एन सक्सेना, बी के सिंह, पी के वर्मा, एसके पलाश, अमित दुबे, समिता राजौरा, बिंदु शर्मा, आर डी महला, दिलीप कुमार, एसके चिढार, अतुल खैरा, एलएस रावत, ओपी उचाड़िया, आजाद सिंह डबास, प्रशांत कुमार सिंह, आरबी शर्मा, एंड के सनोडिया, एलकृष्णमूर्ति, राजेश कुमार, राघवेंद्र श्रीवास्तव, बिभाश कुमार ठाकुर, रमेश गनावा, बृजेंद्र कुमार श्रीवास्तव, केके नागर, एनएस डूंगरियाल, एके मिश्रा, वासु कनौजिया, अनुपम सहाय,सत्येंद्र कुमार सागर, बीबी सिंह, मोहन मीणा, विकास करण वर्मा, एस के दुबे और यूके सुबुद्धि शामिल हैं.
बहरहाल शिकायत के बाद जांच में तथ्य सही मिलने पर कुछ अफसरों के खिलाफ प्रकरण भी दर्ज किए गए हैं. लेकिन उनमें से कुछ कोर्ट में तो कुछ शासन स्तर पर कार्रवाई के लिए विचाराधीन है. इनमें से कुछ अफसर जांच के चलते ही रिटायर भी हो गए हैं.मतलब साफ है कि सरकार के दावों और वायदों में भले ही जीरो टालरेंस का दम हो लेकिन हकीकत में आला अफसर ही सरकार के सरकार के दावों को ताक पर रख भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं.