आनंद ताम्रकार/बालाघाट/शैलेन्द्र गुप्ता/भोपाल। मप्र में महाराष्ट्र के 60 कारोबारियों को सरकारी धान से चावल बनाने के लिए अनुबंधित किया गया है। आरोप है कि इनमें से कई महाराष्ट्र में ब्लैकलिस्टेड हैं, बावजूद इसके मप्र में करोड़ों का काम दे दिया गया। वो भी तब जबकि मप्र में ऐसे कारोबारियों की कमी नहीं है। नई खबर आ रही है कि गोंदिया के मिलर्स हजारों क्विंटल सरकारी धान उठाकर ले गए परंतु आज तक 1 दाना चावल वापस नहीं किया है। आरोप है कि मार्कफेड के अधिकारियों को 10 रुपए प्रति क्विंटल कमीशन मिलता है और बढ़िया धान से घटिया चावल निकलकर सरकारी गोदामों में जमा हो जाता है।
10 रुपए प्रति क्विंटल का खेल
मध्यप्रदेश राज्य विपणन संघ द्वारा बालाघाट जिले में वर्ष 2017-18 में समर्थन मूल्य पर खरीदी गई धान को कस्टम मिलिंग के जरिये चावल बनाने के लिये महाराष्ट्र के लगभग 60 राईस मिलर्स से अनुबंध किया गया है। उनमें महाराष्ट्र के भण्डारा जिले से 5, गोंदिया से 56 तथा नागपुर से 1 राईस मिलर्स के नाम शामिल है। अनुंबध करने वाले राईस मिलर्स में 2 माह पूर्व ही हजारों क्विंटल धान के लाट उठा लिये है लेकिन आज दिनांक तक 1 क्विंटल भी चावल जमा नही किया है। गोंदिया के बेकंटेश राईस मिलर्स द्वारा 71 लाट का अनुबंध कर 29 हजार क्विटल धान मार्कफेड से उठा ली है लेकिन आज तक 1 क्विंटल चांवल जमा नही किया गया है।
बढ़िया चावल बेच दिया, घटिया जमा कराएंगे: संदेह
इस संबंध में नागरिक आपूर्ति निगम के जिला प्रबंधक डी एस कटारे ने अवगत कराया की गोंदिया सहित भण्डारा, नागपुर के किसी भी राईस मिलर्स ने चावल प्रदाय नही किया है जबकि उन्होने मध्यप्रदेश राज्य विपणन संघ से धान प्राप्त कर ली है। संदेह जताया जा रहा है कि राईस मिलर्स ने मार्कफेड से प्राप्त अच्छी क्वालिटी के धान को खुले बाजार में बेच दिया है और अब वे अमानक स्तर का पुराना रिसाईकिल किया हुआ चावल जमा कराने की फिराक में हैं।
मार्कफेड द्वारा प्रदाय किया गया धान शासकीय सम्पत्ति है तथा इसे खुलेबाजार में बेचना आपराधिक कृत्य है। राईस मिलर्स को दी गई धान का भौतिक सत्यापन करवाया जाये तो वास्तविकता खुद उजागर हो जायेगी। अपुष्ट आरोप है कि मार्कफेड द्वारा धान प्रदाय करने के एवज में 10रू.प्रति क्विंटल का कमीशन काले कारोबारियों से लिया जा रहा है। इस तरह मार्कफेड अधिकारियों और चावल के काले कारोबारियों की मिलीभगत से सारा घोटाला किया जा रहा है। क्या यही कारण है कि मार्कफेड के अधिकारी धान देने के बाद नियत समय पर चावल प्राप्त ना होने के बाद भी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
ब्लैकलिस्टेड हैं गोंदिया के कुछ कारोबारी
यह उल्लेखनीय है कि गोंदिया के जिन राईस मिलर्स ने बालाघाट से कस्टम मिलिंग करने का अनुबंध किया है उनमें से अधिकांश राईस मिलर्स पर महाराष्ट गोंदिया के जिला मार्कटिंग फेडरेशन द्वारा दी गई धान के एवज में वर्ष 2010-11,2012-13 की अवधि का 95 हजार 574 क्विंटल चावल जिसका मूल्य 20 करोड 70 लाख रूपये आंका गया है उसकी वसूली के लिये 22 मार्च को जिला अधिकारी गोंदिया द्वारा आरआरसी जारी कर कार्यवाही करने के आदेश जारी कर दिये है।
PS नीलम शम्मीराव स्तब्ध, ब्लैकलिस्टेड से अनुबंध कैसे हो गया
बालाघाट किरनापुर क्षेत्र की विधायक सुश्री हिना कावरे ने खादय विभाग की पीएस श्रीमति नीलम शम्मीराव को यह अवगत कराया की बालाघाट जिले के राईस मिलर्स की उपेक्षा करते हुये महाराष्ट गोदिया, भण्डारा, नागपुर के राईस मिलर्स को कस्टम मिलिंग के लिये अनुबंधित कर लिया गया है जिन पर महाराष्ट शासन का 21 करोड रूपये मूल्य के चावल की वसूली किया जाना है जिसके लिये आरआरसी की कार्यवाही शुरू कर दी गई है। यह जानकारी मिलने पर पीएस ने आश्चर्य व्यक्त करते हुये विधायक सुश्री विधायक को अवगत कराया की उन्हें ऐसी कोई जानकारी नही है यह गंभीर मामला है अगर महाराष्ट शासन की राशि किसी भी राईस मिलर्स पर बकाया है तो उसके साथ कैसे अनुबंध किया जा सकता है। उन्होने यह अवगत कराया की इस मामले का उन्हें संज्ञान हुआ है वे इस पर आवश्यक कार्यवाही करेंगी।