देहरादून। देश में दलित बनाम सवर्णों का मुद्दा अब देशव्यापी हो गया है। दलित वोटबैंक को अपने खाते में लाने के लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियां कोशिश कर रहीं हैं। सवर्ण लामबंद हो गए हैं परंतु फिर भी भाजपा और कांग्रेस की नजर में वो चुनाव प्रभावित करने वाला वोटबैंक नहीं हैं। पिछले दिनों दलितों के नाम पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उपवास किया। अब भाजपा उपवास कर रही है। उत्तराखंड में भाजपा ने इससे एक कदम आगे बढ़कर रणनीति तैयार की है। यहां 13 अप्रैल को भाजपा के ब्राह्मण नेता 1000 दलितों को भोजन कराएंगे। इस आयोजन का समाज में क्या संदेश जाएगा यह तो आने वाला दिन ही बताएगा।
कांग्रेस जैसी किरकिरी ना हो जाए इसलिए गाइडलाइन जारी
12 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत तमाम भाजपा सांसद उपवास करेंगे। यह उपवास कांग्रेस के उपवास के जवाब में हैं। भाजपा का आरोप है कि संसद का पूरा सत्र विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ गया उसके खिलाफ उसके सांसद एक दिन का उपवास रखेंगे। इसी के साथ कांग्रेस पार्टी के भोजन की तस्वीरों के बाद हुये उपवास के बाद भाजपा ने किसी भी उपहास से बचने के लिए अपने सांसदों के लिए कड़े नियम कायदे तय किए हैं।
दलितों को भोजन कराने का प्रोग्राम
दरअसल, 13 अप्रैल को पार्टी के ब्राह्मण सवर्ण वर्ग कार्यकर्ता 1000 दलितों को भोजन कराएंगे। उत्तराखंड सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक का कहना है कि अनुसूचित जाति व जनजाति के तबके को भोजन परोसने के पीछे पार्टी ये संदेश देना चाहती है कि उनकी निगाह में जात-पात के कोई मायने नहीं हैं। देहरादून से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत इस कार्यक्रम का शुभारंभ करेंगे। यहां गौर करने वाली बात ये है कि भाजपा का ये कार्यक्रम संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जयंती (14 अप्रैल) से ठीक एक दिन पहले शुरू हो रहा है। इस कार्यक्रम को पार्टी अंबेडकर के निर्वाण दिवस 6 दिसंबर तक जारी रखेगी।