भोपाल। मनरेगा के तहत मजदूरी करके अपना परिवार पाल रहे 1.88 करोड़ लोग बेरोजगार हो गए हैं। इन्हे पिछले 1 साल में 1 काम भी नहीं दिया गया। सरकार की नई सूची में इन मजदूरों के नाम तक नहीं हैं। हालात यह है कि बड़ी संख्या में रोजगार की तलाश में मजदूर पलायन कर रहे हैं। बुंदेलखंड और ग्वालियर संभाग के इलाकों में हालात बेदह गंभीर हैं। यहां गांव के गांव खाली होने की स्थिति में आ गए हैं। एक अन्य खबर यह आ रही है कि सरकार ने स्व सहायता समूहों की 8000 महिलाओं का रोजगार छीन लिया है।
मनरेगा के मजदूरों को काम नहीं मिलने से सरकार की किरकिरी हो रही है। बुंदेलखंड इलाके से मिल रही खबरों के अनुसार यहां से बड़ी संख्या में मजदूरों का पलायन शुरू हो गया है। छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़ और दमोह जिले के गांव के गांव खाली होने की स्थिति में आ गए हैं। भिंड, मुरैना, गुना, अशोकनगर और श्योपुर जिलों के भी मजदूर इलाका छोड़ रहे हैं।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के आंकड़े बताते हैं कि वित्तीय वर्ष 2016 में प्रदेश में 2 करोड़ 41 लाख जॉबकार्डधारी थे लेकिन सालभर में यानि वर्ष 2017-18 में मजदूरों की संख्या घटकर 1 करोड़ 53 लाख हो गई है। करीब 1 करोड़ 88 लाख मजदूर प्रदेश से गायब हो गए या फिर उन्हे काम नहीं दिया गया जिससे वो सरकारी सूची से बाहर हो गए।
घटती जा रही काम मिलने की संख्या
वर्ष 2015-16 में 2 करोड़ 41 लाख जॉबकार्ड धारियों में महज 51 लाख 78 हजार मजदूरों को ही काम मिला। इसके एवज में सरकार ने 1460 करोड़ का भुगतान किया। 2016-17 में 52.05 लाख श्रमिकों को काम मिला और भुगतान 2188.52 करोड़ हुआ। वर्ष 2017-18 में 58.92 लाख श्रमिकों को ही काम मिला और 2521.58 करोड़ का भुगतान हुआ।
स्व सहायता समूहों की 8000 महिलाओं का रोजगार छीना
ग्रामीण आजीविका मिशन अन्तर्गत गठित स्व सहायता समूहों को स्वावलंबी बनाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विशेष जोर दे रहे हैं लेकिन इन्हीं समूह की महिलाओं को बड़ा झटका लगा है। दरअसल, मिशन की महिलाओं को 64 ब्लाकों के सरकारी स्कूलों में गुड़-मूंगफली की चिक्की उपलब्ध कराने का आर्डर मिला था। चिक्की सप्ताह में तीन बार और पूरे शैक्षणिक दिवस में 120 दिवस प्रदान करना था लेकिन मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम के अन्तर्गत कुछ माह में ही बंद कर दिया गया। एक माह में स्व सहायता समूहों को 2 करोड़ दस लाख रुपए मिले थे। चिक्की की आपूर्ति बंद होने से आठ हजार से अधिक ग्रामीण महिलाओं का रोजगार छिन गया है। मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम के राज्य समन्वयक जसवीर सिंह चौहान का कहना है कि बजट नहीं होने से बंद किया है।