नई दिल्ली। देश भर में जातिगत आरक्षण का विरोध चल रहा है। यह लगातार बढ़ता ही जा रहा है। अब तक कई नेता SC/ST वर्ग के लिए किसी भी तरह के आरक्षण की मांग किया करते थे। जातियों की ओर से भी उन्हे समर्थन दिया जाता था और सरकारें दवाब में आ जातीं थीं परंतु अब हालात बदल रहे हैं और इसका सीधा असर पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार पर दिखाई दे रहा है। मोदी सरकार के दलित चेहरा माने जाने वाले मंत्री रामविलास पासवान एवं रामदास आठवले ने हाल ही में आए 2 बयान इसकी ओर संकेत करते हैं।
क्या कहा मंत्रियों ने, क्या है रणनीति
पिछले दिनों रामदास आठवले ने कहा कि गरीब सवर्णों को भी आरक्षण मिलना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि सवर्णों को जातिगत आरक्षण का विरोध करने के बजाए अपने लिए आरक्षण की मांग करनी चाहिए। आज मंत्री रामविलास पासवान का भी ऐसा ही बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि सवर्णों में भी गरीब होते हैं, उन्हे भी 15 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए। रणनीति साफ है। दलित नेता अपना आरक्षण कोटा बचाना चाहते हैं। उनके बयानों का आशय यही निकलता है कि अनाक्षित पदों में सवर्णों के लिए आरक्षण सुनिश्चित किया जाए ताकि SC/ST वर्ग को मिल रहे जातिगत आरक्षण का नुक्सान ना हो।
तो इसमें गलत क्या है
देश भर में जातिगत आधार पर आरक्षण का विरोध हो रहा है। लोग चाहते हैं कि आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू किया जाए। आरएसएस के नेताओं ने भी इसकी वकालत की है और भाजपा में सक्रिय कई दिग्गज नेता भी ऐसा ही चाहते हैं। दरअसल, आरएसएस और भाजपा सहित इससे जुड़े सभी संगठनों का मूल विचार भी यही है कि जरूरतमंद को लाभ दिया जाए। मोदी के मंत्रियों को समझ आने लगा कि वोटबैंक का दवाब अब नहीं बनाया जा सकता, क्योंकि अनारक्षित वर्ग भी लामबंद हो गया है और आरक्षण के नाम पर बदलने वाला वोटबैंक बन गया है। लोकसभा सहित भाजपा के राज्यों में हुए विधानसभा उपचुनाव में इसका असर साफ दिखाई दिया। अत: वो जुगत लगा रहे हैं कि जातिगत आरक्षण के विरोध की लहर को मोड़ दिया जाए। क्योंकि यदि आर्थिक आधार पर आरक्षण की नीति लागू हो गई तो उनकी जातिवादी राजनीति समाप्त हो जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि कुल रिक्त पदों में से केवल 50 प्रतिशत ही आरक्षित किए जा सकते हैं। मंत्रियों के बयान इस ओर इशारा कर रहे हैं कि SC/ST का आरक्षण भी सुरक्षित रहे और अनारक्षित पदों को कम करके उसमें सवर्णों के लिए आरक्षण फिक्स कर दिया जाए। अब देखना यह है कि जातिगत आधार पर आरक्षण का विरोध कर रहे संगठनों की इस मामले पर क्या प्रतिक्रिया आती है।