राकेश दुबे@प्रतिदिन। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह परेशान हैं। दो हजार का नोट मध्यप्रदेश के बाज़ार में नहीं दिख रहा है, यह समझ नहीं आ रहा है की ये नोट किसने दबाये हैं और क्यों ? लगता है केंद्र ने ब्लैक मनी खत्म करने के लिए की गई नोटबंदी के बाद जारी 2000 रुपये के नोट पर कालेधन के कारोबारियों ने कुंडली मार ली है? या रिजर्व बैंक ने ही बड़े नोटों की सप्लाई कम कर दी है? शिवराज इतने परेशान है कि केंद्र के दरवाजे पर दस्तक देने की बात सार्वजनिक रूप से कहने लगे हैं।
वैसे मध्यप्रदेश ही नहीं सारे देश में 2000 रुपये के नोटों की कमी चर्चा का विषय बना हुआ है। मध्य प्रदेश, के साथ बिहार और गुजरात सहित कई राज्यों से इस नोट की किल्लत की खबरें सामने आ रही हैं। मध्य प्रदेश में तो स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है कि सोमवार को खुद शिवराज सिंह परेशान हो उठे।
मध्यप्रदेश सहित देश के अनेक राज्यों में एटीएम में नकदी की इस कमीपर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कुछ लोग 2000 के नोट दबाकर नकदी की कमी पैदा करने की की साजिश रच रहे हैं। चौहान ने शाजापुर किसान महासम्मेलन में कहा, 'जब (नवंबर 2016 में) नोटबंदी हुई थी तब 15 लाख करोड़ रुपये के नोट बाजार में थे और आज साढ़े 16 लाख करोड़ के नोट छापकर बाजार में भेजे गये हैं। लेकिन दो –दो हजार के नोट कहां जा रहे हैं, कौन दबाकर रख रहा है, कौन नकदी की कमी का षड्यंत्र रच रहा है ?मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि यह षड्यंत्र इसलिए किया जा रहा है, ताकि दिक्कतें पैदा हो।
उन्होंने कहा, 'आज प्रदेश में नगदी की कमी पैदा की जा रही है, इससे राज्य सरकार निपटेगी। प्रदेश सरकार इस पर सख्ती से कार्रवाई करेगी। इस संबंध में वे केंद्र से भी बात कर रहे हैं। मध्यप्रदेश के इस संकट की जड तो मध्यप्रदेश में ही है, विभिन्न योजनाओं में उदारता पूर्वक वितरित धन राशि ने प्रदेश में शान- शौकत की नई लहर पैदा कर दी है। प्रदेश की इन योजनाओं को लेकर सोशल मीडिया पर जो संदेश चल रहे हैं, वे प्रदेश के युवा वर्ग को अकर्मण्यता के संदेश दे रहे हैं। पैदा होने से मरने तक सरकार की योजना पर निर्भरता। प्रदेश में हाल ही में जन्मे नव धनाढ्य वर्ग के बीच सारा लेनदेन नकद हो रहा है। सरकारी निगहबानी इसमें कमजोर दिखती है।
'हालांकि, आरबीआई या वित्त मंत्रालय की ओर से इस मामले अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। जैसा कि शिवराज सिंह इसके पीछे साजिश की आशंका है, तो केंद्र को स्थिति स्पष्ट करना चाहिए।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।