भोपाल। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का राजनैतिक अवकाश समाप्त हो गया है। आज उन्होंने वापस सक्रिय राजनीति को ज्वाइन किया। आते ही उन्होंने मध्यप्रदेश के नागरिकों को 2002 वाला दलित प्रेम याद दिला दिया। बता दें कि 2002 में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के दलित ऐजेंडा के कारण थानों में दलित एक्ट के झूठे मुकदमों की बाढ़ आ गई थी और हजारों निर्दोष जेलों में ठूंस दिए गए थे। बाद में न्यायालयों में यह सबकुछ प्रमाणित भी हुआ।
अवकाश के बाद राजनीति में लौटे दिग्विजय सिंह ने पहला ट्वीट किया:
जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज के आशीर्वाद से और सभी मित्रों के सहयोग से मॉं नर्मदा की परिक्रमा निर्विघ्न पूर्ण हुई। मैं और अमृता कृतज्ञ हैं।
फिर दलितों की बातचीत शुरू की
आदिवासी, दलित, पिछड़ा वर्ग को इतिहास में पहली बार क़ानूनी हक 1950 में संविधान ने दिए। 68 सालों में इस नींव पर जो जागरूकता-सशक्तिकरण संभव हुए, उसके चलते ये वर्ग अब बाबा साहब के सपने को साकार करने की स्थिति में पहुँच गए हैं।
इसके बाद उन्होंने अपने दलित ऐजेंडे की याद दिलाई
इस संकेत को सभी उपेक्षा करने वाले लोगों को समझना चाहिए।
आदिवासी, दलित, पिछड़े वर्ग की न्याय यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव 2002 का ‘भोपाल डिक्लेरेशन’ था जिसे मैंने बतौर मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश में लागू किया था। क़ानूनी समानता के साथ सामाजिक और आर्थिक समानता ही भारतीय संविधान का सच्चा लक्ष्य है और बाबा साहब को सच्ची श्रद्धांजलि है।