भोपाल। मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने बताया कि मप्र सरकार के ऊजा विभाग तथा मप्र बिजली कंपनीयों के द्वारा संविदा सेवा अनुबंध तथा सेवा शर्ते संशोधित अधिनियम 2018 जारी किया गया है। जिसके विरोध में सभी बिजली संविदा कर्मचारी आ गये हैं क्योंकि बिजली विभाग द्वारा बनाई गई यह संविदा नियम 2018 संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण के नाम पर एक छलावा है। इसमें संविदा कर्मचारियों को संविदा पर ही रखा जा रहा है और प्रतिवर्ष उसकी संविदा बढ़ाई जायेगी और आवश्यकता नहीं होेने पर जब चाहे हटा दिया जायेगा उसको नियमित कर्मचारियों के समान ना तो वेतनमान और ना ही भत्ते दिये जायेंगें।
संविदा कर्मचारियों का अर्जित अवकाश की पात्रता भी नहीं दी गई है। नियमितीकरण के नाम पर छलावा किया गया है। संविदा कर्मचारी अधिकारी जो कि इतने वर्षो से संविदा पर निरन्तर और नियमित रूप से काम कर रहे हैं उनकों नियमितीकरण के लिए प्रतियोगी परीक्षा देनी होगी जबकि संविदा पर कार्य कर रहे कर्मचारी पहले से ही व्यापम और एमपी आनलाईन की परीक्षा देकर ही बिजली कम्पनियों में भर्ती हुए हैं तो फिर नियमित होने के लिए प्रतियोगी परीक्षा क्यों दें।
संविदा महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने कहा है कि संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण कम्पनी के रिक्त पदों पर संविदा कर्मचारी की वरिष्ठता के आधार पर होना चाहिए ना कि परीक्षा देकर। जब संविदा कर्मचारी अधिकारी नियमित कर्मचारियों से ज्यादा काम कर रहे हैं तो नियमितीकरण के लिए परीक्षा क्यों देंगें संविदा कर्मचारी। इसलिए कल शुक्रवार को मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के तत्वाधान में बिजली विभाग के संविदा कर्मचारी अधिकारी गोविन्दपुरा स्थित बिजली मुख्यालय बिजली भवन के सामने बिजली विभाग के द्वारा बनाई गई संविदा नीति 2018 की प्रतियां कल शुक्रवार 6 अप्रैल को दोपहर डेढ़ जलाकर विरोध करेंगें और म.प्र. शासन के ऊर्जा विभाग से मांग की जायेगी कि संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण की स्पष्ट नीति बनाये ना कि धोखा और छलावा देने वाली नीति।
म.प्र. सरकार के ऊर्जा विभाग यह है दोहरी नीति - म.प्र. सरकार ने जो कर्मचारी बिना परीक्षा के नियुक्त हुऐ थे जैसे पंचायत कर्मी, शिक्षाकर्मी, गुरूजी, दैनिक वेतन भोगी उनको तो बिना किसी परीक्षा लिए ही नियमित वेतनमान और भत्ते और नियमित कर्मचारियों जैसी सारी सुविधाएं दे दी । वहीं जो बिजली कर्मचारी अधिकारी व्यापम और एम.पी. आनलाईन की परीक्षा देकर मैरीट के आधार पर सेवा में आएं हैं उनको नियमित होने के लिए फिर से प्रतियोगी परीक्षा की शर्त लागू की गई है जो कि अनुचित है । बिजली विभाग ने नियमितीकरण की जो नीति बनाई है उसमें संविदा कर्मचारियों को नियमित होने में 50 साल लग जायेंगें ।
भाजपा के घोषणा पत्र 2013 में था नियमितीकरण का वादा - भारतीय जनता पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र 2013 जनसंकल्प के पृष्ठ क्रंमाक 33 में स्पष्ट उल्लेख है किया गया है कि बिजली विभाग के संविदा कर्मचारियों को शीध्र नियमित किया जायेगा ।