नई दिल्ली। भ्रष्टाचार के खिलाफ दक्षिण कोरिया की एक कोर्ट ने एतिहासिक फैसला सुनाया है। करीब 140 करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने के आरोप में कोर्ट ने दक्षिण कोरिया की पहली महिला राष्ट्रपति पार्क ग्यून-हे को 24 साल की जेल और 110 करोड़ रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है। इससे पहले पार्क ग्यून-हे के खिलाफ संसद में महाभियोग लाया गया था। उन पर भ्रष्टाचार और आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे। कोर्ट के फैसले का टेलीविजन पर सीधा प्रसारण किया गया। दक्षिण कोरिया में अदालती कार्यवाही का आमतौर पर इस तरह प्रसारण नहीं होता है। पार्क भ्रष्टाचार के मामले में सजा पाने वाली दक्षिण कोरिया की तीसरी पूर्व राष्ट्रपति हैं।
कोरियाई मीडिया के अनुसार, सियोल की अदालत में दस महीने से ज्यादा समय तक चले ट्रायल के बाद 66 वर्षीय पार्क को दोषी करार दिया गया। जज किम से-यून ने पार्क की करीबी महिला मित्र चोई सून-सिल का जिक्र करते हुए कहा, "चोई के साथ मिलकर आरोपी ने 2.17 करोड़ डॉलर (करीब 140 करोड़ रुपये) की रिश्वत मांगी या प्राप्त की थी। मैं आरोपी को 24 साल जेल और 1.70 करोड़ डॉलर (करीब 110 करोड़ रुपये) के जुर्माने की सजा सुनाती हूं।" पार्क हालांकि फैसले के समय कोर्ट में मौजूद नहीं थीं। उन्होंने हिरासत में रखे जाने के विरोध में ज्यादातर ट्रायल का बहिष्कार किया था।
देश की पहली महिला राष्ट्रपति थीं, संसद में महाभियोग चलाया गया
पार्क दक्षिण कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति पार्क चुंग-ही की बेटी हैं। उनके पिता 1963 से लेकर 1979 तक राष्ट्रपति रहे। पद पर रहते उनकी हत्या कर दी गई थी। पार्क साल 2013 में दक्षिण कोरिया की पहली महिला राष्ट्रपति चुनी गई थीं। पद पर रहने के चार साल बाद वह भ्रष्टाचार के आरोपों में घिर गईं। पूरे देश में उनके खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। संसद में उन पर महाभियोग चलाया गया। पिछले साल मार्च में अपदस्थ किए जाने के बाद से वह जेल में हैं।
भ्रष्टाचार के केंद्र में रही पार्क की सहेली
पार्क से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों के केंद्र में उनकी सहेली चोई सून-सिल थी। चोई को इस साल फरवरी में दुनिया की सबसे बड़ी स्मार्टफोन निर्माता कंपनी सैमसंग और लोट्टे समेत दक्षिण कोरिया के कई प्रमुख कारोबारी समूहों से रिश्वत लेने के मामलों में 20 साल की सजा सुनाई गई थी। सिल को अक्टूबर, 2016 में गिरफ्तार कर लिया गया था।