भोपाल। प्रदेश के तीन लाख शिक्षकों को सातवें वेतनमान के एरियर की पहली किस्त मई में नहीं मिल पाएगी। दरअसल, इन शिक्षकों की सर्विस बुक पिछले दो-तीन साल से अपडेट नहीं हुई है। इस कारण एरियर की राशि के फिक्सेशन का सत्यापन मुश्किल हो रहा है। ऐसी स्थिति को देखकर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालयों में पदस्थ बाबुओं ने जोड़-तोड़ शुरू कर दी है। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने प्रदेश के नियमित कर्मचारियों को एक जनवरी 2016 से सातवें वेतनमान का लाभ दिया है। सरकार सितंबर 2017 तक की राशि एरियर्स के रूप में देगी। इसकी पहली किस्त मई 2018 में दी जाना है। वर्तमान में प्रदेश में तीन लाख से ज्यादा नियमित शिक्षक हैं।
इनमें से ज्यादातर की सर्विस बुक अपडेट नहीं हैं। इस कारण एरियर की राशि के भुगतान को लेकर समस्या खड़ी हो गई है। वैसे तो सर्विस बुक ऑनलाइन है, लेकिन इसे अपडेट करने की जिम्मेदारी संकुल प्राचार्य की है, जो उन्होंने नहीं की है।
अब सातवें वेतनमान की एरियर राशि के फिक्सेशन का सत्यापन करने के लिए सर्विस बुक कोष एवं लेखा को भेजी जाना है। हालांकि सत्यापन ऑनलाइन हो सकता था, लेकिन सर्विस बुक अपडेट न होने के कारण विभाग को ये काम मैन्युअल करना पड़ेगा। इसमें भी जोड़-तोड़ होगा और सत्यापन में देरी भी होगी। इस कारण एरियर्स राशि खातों में जमा होने में देरी होगी।
यह है प्रक्रिया
सातवें वेतनमान के आदेश जारी होने के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने नए वेतनमान और एरियर राशि का फिक्सेशन कर दिया है। अब कोष एवं लेखा को फिक्सेशन का सत्यापन करना है। ये भी गलत फिक्सेशन की आशंका के चलते किया जाता है। ऑनलाइन सत्यापन में यह प्रक्रिया आसान हो जाती।
अफसरों की लापरवाही
अधिकारियों की लापरवाही के कारण ये स्थिति निर्मित हो रही है। अफसर खुद का काम समय पर पूरा नहीं करते और शिक्षकों को दोष देते हैं। इससे एरियर राशि खातों में जमा होने में देरी होगी।
आशुतोष पाण्डेय, कर्मचारी नेता