भोपाल। 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान दलितों को भड़काने वाले सोशल मीडिया संदेशों को केप्चर कर लिया गया है। खुफिया ऐजेंसी ने इसकी जानकारी दिल्ली भेज दी है। बताया जा रहा है कि मप्र के 3 आईएएस अफसर एवं कुछ राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी इस लिस्ट में शामिल किए गए हैं। आरोपित किया गया है कि इन्होंने सोशल मीडिया पर दलितों को भड़काया। इसके अलावा ग्वालियर में आईएएस अफसर के एक रिश्तेदार पर आरोप है कि उसने भीड़ को डंडे थमाए जिसके बाद हिंसा हुई।
पत्रकार पवन वर्मा की रिपोर्ट के अनुसार सेंट्रल इंटेलीजेंस की एक रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी जा चुकी है, जो शुरूआती जानकारी पर आधारित थी। जल्द ही इस पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट भारत सरकार को भेजी जाएगी। सूत्रों की मानें तो इसमें तीन आईएएस अफसरों के साथ ही राज्य प्रशासनिक सेवा के कई अफसरों की मुसीबत बढ़ सकती है। बंद का समर्थन करने वाले अफसरों की इस आंदोलन में भूमिका के साथ ही पूरी कुंडली केंद्र को भेजी जाना है। केंद्र को जानकारी देने के लिए ही प्रदेश पुलिस का खुफिया तंत्र गुपचुप रूप से सोशल मीडिया की जानकारी खंगाल रहा है।
प्रारंभिक रिपोर्ट में यह पाया गया कि इन अफसरों ने कई संगठनों को चंदा भी दिया है। साथ ही भारत बंद में आगे रहे संगठनों के लोगों से लगातार मोबाइल से संपर्क में भी रहे। इनके मोबाइल फोन की कॉल डिटेल्स भी निकलवाई जा सकती है। साथ ही चंदे की जानकारी भी जुटाई जा रही है।
आईएएस के रिश्तेदार ने भीड़ को डंडे थमाए
ग्वालियर से पत्रकार अर्पण राउत की रिपोर्ट के अनुसार ग्वालियर के मुरार में हुई हिंसा के मामले में पुलिस की खुफिया एजेंसी के रडार पर एक आईएएस का रिश्तेदार है। आशंका है कि इसी ने इलाके में बाहरी लोगों को बुलाकर लाठी-डंडे उपलब्ध कराए थे। पुलिस को उसके खिलाफ महत्वपूर्ण साक्ष्य भी मिले है। जांच एजेसिंयो को पता चला है कि हिंसा कराने के लिए कुम्हपुरा इलाके की 60 फुटा रोड पर तानाबाना बुना गया था। इस मामले की जांच में एक जनप्रतिनिधि का नाम भी सामने आया है।
यह संदेही प्रदेश में पदस्थ एक आईएएस का खास रिश्तेदार बताया जाता है। उसका घर 60 फुटा रोड़ पर है। सूत्रों की माने तो घटना के दिन गाडियों मे सवार होकर भीड़ हुरावली चौराहे पर तक पहुंची। इसके बाद ये भीड़ धीरे-धीरे कुम्हरपुरा में पहुंची। यहां से सभी को नीले पट्टे, डंडे उपलब्ध कराए गए। योजनाबद्ध तरीके से पुलिस व प्रशासन को 9 बजे आंदोलन का समय दिया गया था। ऐसे में प्रशासन निश्चिंत था। जबकि एक घंटे पहले ही सड़कों पर उपद्रव शुरु हो गया। पुलिस मामले में आईएएस की भूमिका की पड़ताल कर रही है।