ग्वालियर। 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान हुई हिंसा में उपद्रवियों को भड़काने के आरोप में 4 कर्मचारियों को गिरफ्तार किया जा चुका है जबकि 11 के खिलाफ केस फाइल किए गए हैं। 6 कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया गया है और 100 से ज्यादा कर्मचारी जांच की जद में हैं। ग्वालियर में एसबीआई के सहायक प्रबंधक राजेंद्र राजे, सेंट्रल बैंक के प्यून हीरालाल मंडेलिया आैर नेहरू युवा केंद्र के करण जाटव को गिरफ्तार किया गया है। जिले में दो बैंक अधिकारियों, तीन रिटायर्ड कर्मचारी आैर एक शिक्षक के बारे में पुलिस को ऐसे सबूत मिले हैं कि उन्होंंने न केवल लोगों को उपद्रव के लिए उकसाया बल्कि इसके लिए लोगों को फंडिंग भी की।
डबरा में सुरेश अंब, कमल पिप्पल आैर देवेंद्र राजौरिया पर केस दर्ज कर निलंबित किया गया है। इनमें राजौरिया की गिरफ्तारी हो चुकी है। दस कर्मचारियों की जांच की जा रही है। भिंड में चार सरकारी कर्मचारियों को निलंबित किया गया है। दतिया में मलेरिया अधिकारी हेमंत गौतम के खिलाफ केस दर्ज हुआ है। मुरैना में विभिन्न विभागों के 25 कर्मचारियों के खिलाफ जांच की जा रही है। भारत बंद के दौरान जिले में पुलिस ने जिन 154 उपद्रवियों को अभी तक गिरफ्तार किया है, उनसे की पूछताछ में कई तथ्य सामने आए। इससे स्पष्ट हुआ कि 2 अप्रैल से पहले लगातार शहर की दलित बस्तियों में मीटिंग कर ब्रेन वॉश किया गया। इस बीच फंडिंग की भी बात सामने आई।
बैंक अधिकारी और टीचर भी शामिल
पुलिस ने इस एंगल पर पड़ताल की तो इसमें करीब दो दर्जन ऐसे लोगों की भूमिका सामने आई है, जिन्होंने उपद्रव को हवा देने में बहुत अहम भूमिका निभाई। इसमें पांच लोगों की भूमिका के बारे में पुलिस को कुछ सबूत भी मिले हैं। इनके नाम पुलिस को पकड़े गए उपद्रवियों ने ही बताए थे। इसमें दो बैंक अधिकारी, 1 शिक्षक और 2 रिटायर्ड कर्मचारी हैं। 1 रिटायर्ड कर्मचारी डबरा का बताया जा रहा है। जो लगातार मीटिंगों में शामिल होता था। बैंक अधिकारियों और शिक्षक ने भी हर मीटिंग में भाग लिया।
आंदोलन करना है इसलिए ऑफिस नहीं आऊंगा...
मुरैना तके कृषि विभाग के सहायक संचालक जीके पचौरिया ने संयुक्त संचालक को आवेदन दिया। मुझे 2 अप्रैल के आंदोलन में शामिल होना है इसलिए ड्यूटी पर नहीं आऊंगा।
जौरा मेंजपं के पीसीओ अनिल कुमार सेठी और पंचायत सचिव फूलसिंह शाक्य ने सीईओ को अवकाश का आवेदन दिया।
बिजली कंपनी के अधिकारी-कर्मचारियों के भी नाम
ग्वालियर में बिजली कंपनी के दफ्तर में बायोमैट्रिक मशीन के जरिए ऐसे कई अधिकारी-कर्मचारियों के नाम सामने आए हैं जिन्होंने 2 अप्रैल की विशेष रूप से छुट्टी ली थी या फिर देरी से काम पर पहुंचे। सेंट्रल डिवीजन के डीजीएम मनीष गौतम, डीजीएम प्रीति बरैया, एई महेंद्र कौशल और एचआर मैनेजर प्रियंका अटारिया की अटेंडेंस बायोमैट्रिक मशीन में दर्ज नहीं है। प्रियंका दोपहर बाद दफ्तर पहुंची लेकिन पंच नहीं किया। सेक्शन ऑफिसर शंकर लाल शाक्य दोपहर में ऑफिस पहुंचे और आधे दिन की छुट्टी ली। वहीं अकाउंट अफसर नरेंद्र चौधरी ने फेसबुक अकाउंट पर इस आंदोलन के लिए एक फोटो अपलोड की। जिसमें अवकाश लेकर भारत बंद का समर्थन करने की बात कही थी।
कर रहे हैं तस्दीक
ग्वालियर एसपी डॉक्टर आशीष ने बताया कि उपद्रव के लिए फंडिंग की बात उपद्रवियों से पूछताछ में ही सामने आई है। सरकारी अधिकारी, कर्मचारियों के नाम सामने आ रहे हैं। इसकी तस्दीक की जा रही है।
सख्त कार्रवाई होगी
मध्यप्रदेश मक्षेविवि कंपनी के एमडी डॉक्टर संजय गोयल ने बताया कि बिजली कर्मचारियों द्वारा भारत बंद में हिस्सा लेने की कोई ठोस जानकारी मिलने पर संबंधित अधिकारी व कर्मचारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
जमानत नहीं मिली
एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के विरोध में 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान शहर में हुईं हिंसक घटनाआें में शामिल स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के सहायक प्रबंधक राजेंद्र राजे सहित 10 अन्य आरोपियों को विशेष न्यायालय ने गुरुवार को जमानत का लाभ देने से मना कर दिया। विशेष न्यायाधीश बीपी शर्मा ने अपने आदेश में कहा कि अभियुक्त गणों ने समाज में भय का माहौल पैदा करने के साथ ही जातीय संघर्ष कराने का भी प्रयास किया। इससे समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को देखते हुए आरोपियों का जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता।
उल्लेखनीय है कि आरोपियों को 3 अप्रैल को देर रात गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जहां से इन्हें जेल भेज दिया गया था। बुधवार को राजेंद्र राजे, झनकलाल राजे (शिक्षक) व कमल किशोर राजे (शिक्षक) ने जमानत आवेदन प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने पुलिस पर झूठे केस में फंसाने का आरोप लगाया। वहीं अपर लोक अभियोजक ने आवेदन का विरोध करते हुए बताया कि सभी आरोपी छुट्टी लेकर दंगे में शामिल हुए थे। उन्होंने केस डायरी का हवाला देते हुए बताया कि आरोपियों ने गाड़ियों की तोड़फोड़ की साथ ही निजी व शासकीय संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया व राहगीरों के साथ मारपीट भी की। अपर लोक अभियोजक के तर्कों से सहमति जताते हुए न्यायालय ने जमानत आवेदन निरस्त कर दिया।
इनको भी नहीं मिली जमानत
अनिल टेगोर, बृजेश, सतेंद्र राहुल, दिनेश राहुल, अजय बरैया, अभिषेक पालिया आैर नरेंद्र कुमार भारतीय ने भी विशेष न्यायालय में जमानत आवेदन प्रस्तुत किया जिसे निरस्त कर दिया गया।