डॉ नीरू सेन/AYURVEDA DESK | वैज्ञानिक प्रयोगों से यह सिद्ध हो चुका है कि एक बीज के भीतर एक पूरा जीवन छिपा होता है। इसमें वे सभी तत्व संग्रहित होते हैं जो पौधे का जीवन चलाते हैं। यही तत्व हमारे शरीर के लिए भी आवश्यक होते हैं यही कारण है कि अंकुरित बीजों को LIVING FOOD भी कहा जाता है। यदि आप घर में बनाते हैं तो सबसे अच्छी क्वालिटी का लिविंग फूड प्रतिदिन प्रतिव्यक्ति 5 रुपए से अधिक का खर्चा नहीं आएगा। विभिन्न अनाजों व दालों को पानी में भिगो देने पर उनके अंदर स्थित सभी तत्व सक्रिय हो जाते हैं। इससे बीज में अनेक रासायनिक परिवर्तन आते हैं।
क्या बताया प्रयोगशालाओं ने
अंकुरण की अवस्था में बीजों में विटामिन सी, आयरन, विटामिन सी तथा फास्फोरस की मात्रा कई गुना बढ़ जाती है। इतना ही नहीं अंकुरण के बाद कुछ ऐसे तत्वों की मात्रा में कमी आती है जो शरीर के लिए हानिकारक होते हैं, इस प्रकार के तत्वों में ओलिगासैकराइड्स प्रमुख है। अंकुरण के बाद विभिन्न दालों में पाया जाने वाला स्टार्च, ग्लूकोज में तथा फ्राक्टोज, माल्टोज में बदल जाता है। इससे इनका स्वाद तो बढ़ता ही है साथ ही वे सुपाच्य भी हो जाती हैं। इसी प्रकार की प्रक्रिया अनाज में भी होती है। परिवर्तन की यह प्रक्रिया अनाज में तीव्र तथा दालों में कुछ धीमी गति से होती है।
अमृताहार कैसे बनाएं | HOW TO MAKE LIVING FOOD
अमृताहार बनाने के लिए चना, मूंग, राजमा, मेथी, सोंठ, लोबिया, सोयाबीन, सूर्यमुखी तथा गेहूं के बीजों को प्रयोग किया जाता है। इनके अतिरिक्त अन्य दालों को भी अंकुरित कर प्रयोग किया जा सकता है।
अंकुरित करने के लिए बीजों को अच्छी तरह धोकर जार या किसी अन्य बर्तन में दस−बारह घंटों के लिए भिगो देना चाहिए।
बीजों को भिगोने के लिए इतना पानी जरूर डालें कि उसमें बीज पूरी तरह डूब जाएं।
अच्छी तरह भीगे हुए बीजों को पानी से दोबारा अच्छी तरह धोकर साफ सूती कपड़े की एक पोटली में टांग दें।
इस तरह से भीगे हुए बीजों का अंकुरण लगभग 24 घंटे में हो जाता है।
गर्मियों में यह ध्यान रखना जरूरी है कि लटकाई गई पोटली सूखे नहीं इसके लिए थोड़ी−थोड़ी देर में उस पर पानी का छिड़काव करते रहें जिससे पोटली में नमी बनी रहे।
अंकुरण के लिए ताजा तथा स्वस्थ बीजों का ही प्रयोग किया जाना चाहिए। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि अंकुरण पुराना, दुर्गन्धयुक्त या बासी न हो।
अमृताहार खाने के नियम | RULES OF AMRUTAHAR
अंकुरित बीजों को कच्चा ही खाना चाहिए क्योंकि पकाने से उनके पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं।
इन बीजों का स्वाद कुछ कसैला होता है इसलिए उनमें नमक, टमाटर, खीरा, नींबू आदि डाला जा सकता है, इससे उनका स्वाद बढ़ जाता है।
अमृताहार के फायदे क्या हैं | BENEFITS OF AMRIT AAHAR
अंकुरित बीजों के प्रयोग से कमजोरी तथा कई प्रकार के रोग दूर होने के साथ−साथ शरीर को उचित पोषण भी मिलता है। इनसे हमारा इक्यून सिस्टम भी मजबूत होता है। नशाखोरी तथा मद्यपान की लत छुड़ाने में भी यह अमृताहार सहायक होता है।
नियमित सेवन से रक्त अल्पता, हडि्डयों की बीमारियां, मानसिक तनाव, कब्ज, अनिद्रा, बवासीर, मोटापा तथा पेट के कई रोगों से छुटकारा मिल जाता है।
अमृताहार में कौन से बीज फायदेमंद | FRUITFUL SEED FOR ANKURIT FOOD
तीन प्रकार के बीजों को प्रयोग मुख्यतः किया जाता है जिसमें से चयन रोग के आधार पर किया जाता है।
मधुमेह के रोगियों के लिए चना व मेथी,
हृदय रोगियों के लिए चना तथा मूंग
बढ़ते बच्चों व माताओं के लिए अंगूर, बादाम व खजूर।
सामान्य व्यक्ति किसी भी प्रकार के अमृताहार का प्रयोग कर सकता है।
Note: जो दाँतो से परेशान है वह हल्की भाप से पका कर खा सकते है। किसी भी तरह का तड़का या मसाला इसमे प्रयोग न करें।
लेखक डॉ नीरू सेन Health Healing Centre नई दिल्ली की संचालक भी हैं।