आनंद ताम्रकार/बालाघाट। प्रदेश में लगभग 1 दर्जन जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों और 300 से अधिक सहकारी समितियों में 17 करोड रूपये की राशि गायब है। यह राशि सरकार ने सहकारी बैंकों को गेंहु और धान खरीदी सहित अन्य योजनाओं के लिये जारी की थी। सहकारिता विभाग ने बैंकों को दी गई राशि का सत्यापन करवाया तब इस मामले का खुलासा हुआ है। आधिकारिक तौर पर अभी इसकी जानकारी नहीं दी जा रही है। 6 सहकारी बैंकों और 150 सहकारी समितियों के हिसाब किताब में भारी गडबडी पाई गई है। यह उल्लेखनीय है कि सरकार गेंहूं तथा धान खरीदी और किसान के लिये फसल बीमा सहित अन्य कल्याणकारी योजनाओं के लिये सहकारी बैंकों को हर साल अरबों रूपये देती है जिसे बैंक द्वारा सहकारी समितियों को साख सीमा के लिये पैसे दिये जाते है।
इस मामले का खुलासा होने के बाद सहकारी बैंकों और समितियों का आडिट कराया गया तो भारी अनियमिततायें प्रकाश में आई हैं जिसमें करोडों रूपयों का हिसाब नही मिल रहा है। इस वर्ष खादय एवं नागरिक आपूर्ति निगम और मार्कफेड के माध्यम से खरीदी गई धान और करोडों रूपयों का हिसाब नही मिल रहा है।
जिन बैंकों में अनियमिततायें पाई गई है उनमें जबलपुर, मण्डला, नरसिंहपुर, सिवनी, सीधी तथा शहडोल की जिला सहकारी बैंक और सहकारी समितियां शामिल है, सहकारिता विभाग में इन समितियों से धान और राशि के अंतर के सबंध में जानकारी मांगी है। इस मामले के प्रकाश में आने के बाद संबंधित जिलों के कलेक्टरों को इस घपले की जांच का जिम्मा सौंपा गया है जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्यवाही की जायेगी।
इस सबंध में सहकारिता विभाग की आयुक्त एवं पंजीयक रेणु पंत ने कहा है कि छतरपूर सहित अनेक जिलों के बैंकों के बजट में अतर मिला है जिसकी कलेक्टरों से विस्तार से जांच कराई जा रही है।
यह उल्लेखनीय है कि सहकारिता विभाग ने छतरपुर, जबलपुर, सिवनी, ग्वालियर, रायसेन, होसगांबाद में कलेक्टर की अध्यक्षता में जांच दल बनाया है इन जिलों में 5 साल के लेन देन का हिसाब नही मिला है यहां के बैंकों में 11-12 करोड रूपये की कमी पाई गई है यह जांच दल अपेक्स बैंक और सहकारी बैंकों की जांच करेगी तथा किसानों को किये गये भुगतान का सत्यापन किया जायेगा। इस संबंध में जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक बालाघाट के महाप्रबंधक श्री पी एस धनवाल से चर्चा किये जाने पर उन्होने अवगत कराया की ऐसी कोई जानकारी उनके संज्ञान में नही है।