
ज्ञात रहे सरकार ने वादा किया था कि वेतन पुनरीक्षण नियम 2017 के अंतर्गत पुनरीक्षित वेतन की 18 माह की बकाया राशि सरकारी कर्मचारियों को 3 किस्तो में नगद भुगतान की जाएगी और प्रथम क़िस्त का भुगतान 1 मई 2018 से किया जाएगा परंतु आज वित्त विभाग ने जारी परिपत्र में सरकार की इस मंशा को उजागर कर दिया कि सरकार कर्मचारियों के पैसे का इस्तेमाल अन्य योजनाओं में करना चाहती है तथा यह कर्मचारी विरोधी सरकार है। कर्मचारियों को सरकार दोयम दर्जे का नागरिक मानती है।
वित्त विभाग के आदेश के अनुसार प्रथम एवं द्वितीय श्रेणी अधिकारियों की बकाया राशि शत-प्रतिशत उनके भविष्य निधि खाते में जमा की जाएगी जबकि तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के वेतन मान के पुनरीक्षण की बकाया राशि 50% नगद दी जाएगी और 50% भविष्य निधि खाते में जमा की जाएगी । सरकार के इस निर्णय से कर्मचारी जगत में असन्तोष एवम आक्रोश व्याप्त है। मध्य प्रदेश शिक्षक कांग्रेस, शासन के इस निर्णय का पुरजोर विरोध करते हुए संपूर्ण राशि नगद भुगतान करने की मांग करती है।
नगद भुगतान की मांग करने वालों में शिक्षक कांग्रेस नेता निर्मल अग्रवाल, बाल कृष्ण शर्मा, किशन रजक, महेश भार्गव, जगदीश मिश्रा, कमल द्विवेदी, प्रमोद त्रिवेदी, हरीश तिवारी, उमेश सिकरवार, रसीद खान साविर, भोला राम शर्मा ,राजेन्द्र गुजराती , रामकुमार पाराशर , नाथूराम शर्मा , राम सेवक राठौर ,ओ.पी. रिछारिया , प्रमोद शांडिल्य , राजेन्द्र सिंह जादौन ,अवधेश शर्मा , अनिल सिंह कुशवाह , भानु पाराशर , रमेश गोयल , दिनेश सगर , सनमान सिंह ,धर्मेन्द्र सिंह परमार , गोविंद शर्मा , सराफत खान , बलराम शर्मा , राजेंद्र जैन , कल्याण सिंह वर्मा , गणेश शर्मा , शक्ति स्वरूप पाराशर ,हेमंत मिश्रा , चौहान आदि प्रमुख हैं।