भोपाल। दस साल से भी अधिक समय से सरकार की अलग-अलग योजनाओं को चला रहे मप्र के 91 हजार से अधिक संविदा कर्मियों को चुनावी साल में राज्य सरकार राहत दे सकती है। शासन ने सभी विभागों से पूछा कि उनके यहां कितने संविदा कर्मी हैं। इसी हिसाब से तय किया जाएगा कि संविदा कर्मियों को क्या और कैसे लाभ दिया जाए। उच्च स्तरीय बैठक में तीन विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। पहला यह कि दैनिक वेतन भोगियों की तरह उन्हें स्थाई कर दिया जाए और सरकार से मिलने वाली सुविधाएं बढ़ा दी जाएं। दूसरा उनकी रिटायरमेंट की आयु नियमित कर्मचारियों की तरह कर दी जाए। तीसरा उन्हें नई भर्तियों में प्राथमिकता व वरिष्ठता देने के साथ ही बोनस अंक दिए जाएं और चौथा स्थाई कर्मी बनाने के साथ ही उन्हें समान कार्य-समान वेतन से जोड़ दिया जाए।
सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 11 मई को संविदा कर्मियों की महापंचायत बुलाई है। इसीलिए तेजी से यह प्रयास किए जा रहे हैं कि किसी एक फार्मूले को तय करके मुख्यमंत्री के सामने प्रस्तुत किया जाए। पूर्व में संविदा कर्मियों की हड़ताल के बाद तय हुआ था कि नए प्रारूप के बारे में वित्तमंत्री जयंत मलैया से चर्चा होगी। दो मई को तमाम संविदा कर्मचारी संगठन के लोग उनसे मिल सकते हैं।
41 विभागों ने भेजी जानकारी
अभी तक 41 विभागों ने बताया है कि उनके यहां कितने संविदा कर्मी हैं। इसमें जेल विभाग और धार्मिक एवं धर्मस्व एक-एक ही संविदा कर्मी हैं। खनिज विभाग और श्रम विभाग ने कहा कि उनके यहां कोई नहीं है।
संविदा कर्मियों को बहाल करें
संविदा कर्मियों के संगठन मप्र संविदा संयुक्त संघर्ष मंच ने शासन को स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें न केवल नियमित किया जाए, बल्कि सालों से किसी न किसी वजह अथवा अनियमितता के आरोप लगाकर हटाए जा रहे 20 हजार संविदा कर्मियों को भी बहाल किया जाए।