रहस्य: 900 साल सूखा पड़ा था, पूरी सभ्यता ही नष्ट हो गई | NATIONAL NEWS

Bhopal Samachar
कोलकाता। सिंधु घाटी सभ्यता की समाप्ति के रहस्यों को जानने की कोशिश आज भी हो रही है। कुछ ने सूखे को तो कुछ भयंकर बाढ़ को तो कुछ बाहरी आक्रमण को सिंधु घाटी सभ्यता के खत्म होने की वजह मानते हैं। कुछ वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन को भी एक वजह माना है। हाल ही में आइआइटी, खड़गपुर के वैज्ञानिकों ने लगभग 4350 साल पहले सिंधु घाटी सभ्यता के खत्म होने की वजह बने सूखे की अवधि का पता लगाया है। आइआइटी खड़गपुर के वैज्ञानिकों को एक शोध में पता चला है कि यह सूखा कुछ साल या कुछ दशक नहीं बल्कि पूरे 900 साल तक चला था।

क्या सिंधु सभ्यता के पतन के लिए मॉनसून ही था जिम्मेदार ?

वैज्ञानिकों ने उस थ्योरी को भी गलत साबित कर दिया, जिसमें सूखे के 200 साल में खत्म हो जाने की बात कही गई थी। आइआइटी, खड़गपुर के भूगर्भशास्त्र और भूभौतिकी विभाग के शोधकर्ताओं ने पिछले लगभग 5000 साल के दौरान मॉनसून के पैटर्न का अध्ययन किया और पाया कि लगभग 900 साल तक उत्तर पश्चिम हिमालय में बारिश न के बराबर हुई। इस कारण सिंधु और इसकी सहायक नदियां जो बारिश से साल भर भरी रहती थीं, सूख गईं। इन नदियों के किनारे ही सिंधु घाटी सभ्यता अस्तित्व में थी। नदियों में पानी खत्म होने से लोग पूर्व और दक्षिण की ओर गंगा-यमुना घाटी की ओर चले गए जहां बारिश बेहतर होती थी।


अध्ययन में यह भी सामने आया है कि 2,350 बीसी (4,350 साल पहले) से 1,450 बीसी तक मॉनसून सिंघु घाटी सभ्यता वाले इलाके में काफी कमजोर होने लगा था। धीरे-धीरे सूखा पड़ने लगा। ऐसे में लोग हरे इलाकों की ओर पलायन करने लगे। सिंधु और इसकी सहायक नदियों रावी, चिनाब, व्यास और सतलज के किनारे बसने के कारण ही इस सभ्यता का नाम सिंधु घाटी सभ्यता पड़ा था, लेकिन इसके निशान तटीय गुजरात और राजस्थान तक में मिलते हैं। इस वजह से इस सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी पुकारा जाने लगा। हड़प्पा में ही इस सभ्यता के अवशेष सबसे पहली बार मिले थे। इन घाटियों से पलायन कर रहे लोग गंगा-यमुना घाटी की ओर और बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, विंध्याचल और गुजरात जाने लगे।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!