भोपाल। अध्यापकों के शिक्षा विभाग में संविलियन पर वही अड़ंगा लग गया जिसकी आशंका भोपाल समाचार ने सीएम शिवराज सिंह द्वारा संविलियन के ऐलान के ठीक बाद जताई थी। अध्यापकों के अन्तर्निकाय संविलियन केे एकदम अंन्तिम चरण में आयुक्त जन जातीय कार्य विभाग भोपाल द्वारा ट्रायवल विभाग की शालाओं से स्कूल शिक्षा विभाग की शालाओं में कार्यमुक्त किये जाने पर रोक लगा दी है।उल्लेखनीय है कि शिक्षामंत्री द्वारा विधान सभा में पुरूष अध्यापकों के लिये भी अन्तर्निकाय संविलियन किये जाने का वक्त्तव्य दिये जाने के उपरांत मप्र शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा अध्यापकों की अन्तर्निकाय संविलयन किये जाने बाबद आदेश प्रसारित किये गये थे।
लगभग 8 माह की लम्बी प्रक्रिया के उपरांत अध्यापकों के अन्तर्निकाय संविलयन के आदेश प्रसारित कर दिये गये हैं। निर्देशानुसार अध्यापकों ने संविलयन किये गये जिले से पदस्थापना आदेश भी प्राप्त कर लिया है। अब कार्यरत जिले से संविलयन किये गये जिले में कार्यमुक्त होने का समय आया तो आयुक्त जन जातीय कार्य विभाग भोपाल द्वारा ट्रायवल विभाग की शालाओं से स्कूल शिक्षा विभाग की शालाओं में कार्यमुक्त किये जाने पर रोक लगा दी है। जिससे प्रभावित अध्यापकों में भारी रोष है।
पॉलिसी में ऐसा की शर्त नहीं थी
राज्य अध्यापक संघ की मंडला जिला इकाई ने भी गहरा आक्रोष व्यक्त किया है और कहा है कि मप्र शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जो अन्तर्निकाय संविलयन की पॉलिसी बनाई गई है जो कि प्रमुख सचिव आदिवासी विकास विभाग को भी पृष्ठांकित है में ऐसा कोई प्रावधान या शर्त नहीं है कि ट्रायवल विभाग की शालाओं से स्कूल शिक्षा विभाग की शालाओं में अन्तर्निकाय संविलयन नहीं किया जायेगा।
आवेदन में भी विकल्प उपलब्ध था
यहां तक कि ऑन लाइन आवेदन करते समय अन्तर्निकाय संविलयन किये जाने हेतु ट्रायवल विभाग के अध्यापकों के लिये स्कूल शिक्षा विभाग की शालाओं के विकल्प दिये गये थे। जिसके अनुसार ही स्कूल शिक्षा विभाग की शालाओं का चयन किया गया। यदि सिर्फ ट्रायवल विभाग की शालाओं के विकल्प होते तो अध्यापक उन्ही शालाओं से विकल्प चुन सकते थे। यदि प्रश्न ट्रायवल विभाग में शिक्षकों की कमी का है तो अन्तर्निकाय संविलयन की पालिसी के अनुसार स्कूल शिक्षा विभाग के अध्यापक ट्रायवल विभाग की शालाओं में भी स्थानांतरित होगें। बल्कि नियमों में शिथिलता के चलते ट्रायवल विभाग की शालाओं में अपेक्षाकृत अधिक अध्यापक स्थानांतरित होगें।
कमिश्नर के आदेश को न्यायालय में चुनौती दी जाएगी
बता दें कि आयुक्त जन जातीय विभाग के पत्र से नियमानुसार आवेदन करने वाले ऐसे अध्यापक जो ट्रायवल विभाग की शालाओं से स्कूल शिक्षा विभाग की शालाओं में स्थानांतरित हुये हैं वे इस लाभ से वंचित हो जायेंगे जबकि अन्य अध्यापकों को इसका लाभ मिलेगा। स्पष्ट है कि आयुक्त जन जातीय विभाग के पत्र से अवसर की समानता का उल्लंखन हो रहा है जिससे बहुत से मामले अनावश्यक न्यायालय में जायेंगे।
सीएम और सीएस से मांगा न्याय
राज्य अध्यापक संघ की जिला इकाई इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री और प्रमुख सचिव म.प्र.शासन स्कूल शिक्षा विभाग के नाम ज्ञापन कलेक्टर को सौंपेगा। और मांग करेगा कि आयुक्त जन जातीय कार्य विभाग के पत्र को निरस्त किया जाये ताकि म.प्र.शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा बनाई गई अन्तर्निकाय संविलयन की पालिसी में पात्र सभी अध्यापक लाभान्वित हो सकें। इस बाबद प्रांताध्यक्ष जगदीष यादव मुख्यमंत्री और सम्बधिंत अधिकारियोें से मिलकर आदेष को निरस्त करने की मांग करेंगे।