भोपाल। मध्यप्रदेश भाजपा की राजनीति में कल शाम से तेज हवाएं चल रहीं हैं। मप्र के नए प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान होना है। इस प्रक्रिया में अमित शाह और उनकी टीम को करीब 6 माह लग गए। चौंकाने वाली बात यह है कि कैलाश विजयवर्गीय से लेकर नरेंद्र सिंह तोमर तक जिस जिस को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का विचार किया, उसने खुद सामने आकर इस पद को लेने से इंकार कर दिया। कल शाम को केवल तीन नामों पर विचार चल रहा था। गृहमंत्री भूपेन्द्र सिंह, जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा और जबलपुर सांसद राकेश सिंह, सुबह होते होते सिर्फ एक नाम की चर्चा शेष रह गई है और वो हैं राकेश सिंह। सूत्रों का कहना है कि यदि लास्ट मिनट पर कोई राजनीति नहीं होती तो राकेश सिंह के नाम का ऐलान हो जाएगा।
कांटों का ताज है भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष पद
दरअसल, भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष पद इन दिनों कांटों का ताज है। 2018 में विधानसभा चुनाव हैं और 2019 तो पूरा का पूरा चुनावी साल है। प्रदेश भर में सत्ता विरोधी लहर है। भाजपा के पुराने कार्यकर्ता और संघ से जुड़े संगठनों की उम्मीदें काफी बढ़ गईं हैं। जो भी प्रदेश अध्यक्ष बनेगा उसे कई चुनौतियां का सामना करना होगा। सीएम शिवराज सिंह से समन्वय भी एक चुनौती ही है। यदि कारण रहा कि एक के बाद एक सभी दावेदार खिसकते चले गए। यहां तक कि शिवराज सिंह से जबर्दस्त चुनावी तालमेल का प्रदर्शन करने वाले नरेंद्र सिंह तोमर भी खिसक लिए।
सांसद राकेश सिंह का परिचय
1910/ए, राइट टाउन, जबलपुर स्थित आॅफिस से राकेश सिंह की राजनीति का संचालन होता है। इन्होंने साईंस कालेज, जबलपुर से बीएससी पास किया है। 1978-1979 में राजनीति की शुरूआत की और कॉलेज की कार्यकारिणी के सदस्य निर्वाचित हुए। कॉलेज छूटा लेकिन राजनीति नहीं छूटी। 1994-1995 में जबलपुर टिम्बर मर्चेन्ट्स एण्ड सॉ मिल ओनर्स एसोसिएशन के चुनाव में सदस्य निर्वाचित हुए। 1994 और 1999 में विधानसभा चुनाव का संचालन किया। 2001 में इन्हे जबलपुर (ग्रामीण) का अध्यक्ष बनाया गया। 2004 में जबलपुर संसदीय क्षेत्र से 14/वीं लोक सभा के लिये भाजपा ने टिकट दिया और करीब 1 लाख वोटों से जीत हासिल की। इसके बाद से राकेश सिंह लगातार सांसद हैं। 2010 में राकेश सिंह भाजपा के प्रदेश महामंत्री भी रह चुके हैं।