
कांग्रेस-बसपा गठबंधन के आसार
केवल कांग्रेस ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के अलग राज्य बनने के बाद से बसपा भी यहां अपनी जमीन तलाश रही है। बसपा भी बीजेपी को हारता हुआ देखना चाहती है। ध्यान देने वाली बात है कि पिछले तीन में प्रत्येक विधान सभा चुनावों में बसपा को केवल एक ही सीट हासिल हो पाई है। प्रदेश में 10 विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। गत चुनाव में बीजेपी ने इन क्षेत्रों में 9 सीटों पर कब्जा किया था। सीटों का समीकरण अपने पक्ष में करने के लिए कांग्रेस अपनी रणनीति में बदलाव कर रही है।
गत चुनाव में अजीत जोगी कांग्रेस के साथ थे। तब 11 में से 1 सीट कांग्रेस की झोली में गया था। इस बार जोगी अपनी अलग पार्टी के साथ मैदान में उतर रहे हैं। भूपेश के आॅफर पर बसपा के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश बाचपेयी पहले ही कह चुके हैं कि यदि कांग्रेस बसपा के साथ सम्मानजनक सीटों का तालमेल करे तो विधान सभा चुनाव साथ मिलकर लड़ा जा सकता है। वे कह चुके हैं कि कांग्रेस की ओर से सम्मानजनक चर्चा की पहल होनी चाहिए।
केवल मंचों पर बोलने से नहीं बात नहीं बनेगी
हाल ही में जशपुर जिले के कुनकुरी में कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव एवं छत्तीसगढ़ प्रभारी अरूण उरांव ने कहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी यहां बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ गठबंधन कर सकती है। उरांव ने कहा कि चुनाव के दौरान वोटों के अधिक बिखराव से भारतीय जनता पार्टी को ही लाभ होता है, इस वजह से अब कांग्रेस ने वोटों का बिखराव रोकने की रणनीति शुरू कर दी है।
ओमप्रकाश बाचपेई ने अपनी बात दोहराते हुए कहा कि वे गठबंधन के लिए तैयार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले कई महीनों से कांग्रेस केवल अलग-अलग मंचों से ही इस बात की घोषणा कर रही है। अभी तक वे इस प्रस्ताव को लेकर आए नहीं हैं। इधर भूपेश बघेल ने ये भी साफ किया है कि गठबंधन से जुड़ा निर्णय दिल्ली में आलाकमान की करेगा। बाचपेयी ने साफ किया कि इस बार बसपा की तैयारी अच्छी है। गत चुनाव में बिना किसी खास तैयारी के 5 प्रतिशत वोट मिले थे। इस बार बसपा का दावा है कि बिना उनके साथ गठबंधन के किसी भी पार्टी को सरकार बनाना मुश्किल होगा।